आरबीआई ने कम नहीं की रेपो दर, वृद्धि अनुमान घटाया
मुंबई, 6 दिसंबर (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर में कोई कटौती नहीं की। इसमें मुद्रास्फीति के जोखिम का हवाला दिया गया। लेकिन सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बैंकों के पास धन बढ़ाने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती कर दी। साथ ही आरबीआई ने आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के बीच मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत के पिछले अनुमान से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार 11वीं बैठक में नीतिगत ब्याज दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। बैठक के बाद शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ रखते हुए रेपो दर को स्थिर रखने के लिए मतदान किया। वहीं समिति के बाहरी सदस्यों-नागेश कुमार और राम सिंह एक चौथाई अंक की कटौती के पक्ष में थे। दास ने कहा कि सीआरआर को 0.50 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया गया है जो 14 दिसंबर और 28 दिसंबर को दो चरणों में प्रभावी होगा। इस कटौती से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये आएंगे और अल्पकालिक ब्याज दरों में नरमी आएगी तथा बैंक जमा दरों पर दबाव कम हो सकता है। सीआरआर के तहत वाणिज्यिक बैंकों को अपनी जमा का एक निर्धारित हिस्सा नकदी के रूप में केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है। इसे आखिरी बार 2020 में कम किया गया था। दास ने कहा कि उनका प्रयास मुद्रास्फीति रूपी घोड़े को काबू में रखने पर केंद्रित है।
केंद्रीय मंत्रियों की सलाहों को किया नजरअंदाज
दास ने गवर्नर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की आखिरी मौद्रिक समीक्षा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा कर्ज की लागत कम करने की सलाहों को नजरअंदाज किया। दास का मौजूदा कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई। जब 2021 में दास को दूसरा कार्यकाल दिया गया था तो घोषणा एक महीने पहले ही कर दी गई थी। इस बीच, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर में आई सुस्ती ‘प्रणालीगत’ नहीं है और तीसरी तिमाही में बेहतर सार्वजनिक व्यय के साथ आर्थिक गतिविधि इस नरमी की भरपाई कर सकती है।
बैंकों को यूपीआई से कर्ज देने की अनुमति
आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों को यूपीआई के जरिये पहले से स्वीकृत कर्ज देने की अनुमति दे दी। भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ‘फंडिंग’ खाते के रूप में उपयोग किये जाने की सुविधा दी गयी।
शेयर बाजार में तेजी थमी, सेंसेक्स 56.74 अंक टूटा
आरबीआई द्वारा रेपो दर में कोई कमी न किए जाने के बाद शेयर बाजार में पिछले पांच दिनों से जारी तेजी पर विराम लग गया। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में प्रमुख सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए।
प्रवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज दरें बढ़ाईं
आरबीआई ने अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमाओं पर ब्याज दर सीमा बढ़ाने का ऐलान किया। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब रुपया डॉलर के मुकाबले सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है।