मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

संसद में ‘सिक्सर’ लगाने को राव इंद्रजीत उतरे चुनावी रण में

10:49 AM Apr 01, 2024 IST
राव इंद्रजीत सिंह
Advertisement

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 31 मार्च
हरियाणा की ‘लाल सियासत’ के बीच अहीरवाल दिग्गज राव इंद्रजीत सिंह प्रदेश के दूसरे ऐसे नेता हैं, जिनके नाम लगातार चार बार लोकसभा पहुंचने का रिकार्ड दर्ज है। वे अभी तक पांच बार सांसद रह चुके हैं और इस बार गुरुग्राम संसदीय सीट से फिर से मैदान में हैं। राव इंद्रजीत सिंह लोकसभा में ‘सिक्सर’ लगाने के लिए मैदान में उतरने वाले प्रदेश के पहले राजनेता हैं। इतना ही नहीं, वे हरियाणा विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि राव इंद्रजीत ने भी कई बार दक्षिण हरियाणा की चौधर का नारा दिया। कांग्रेस में रहते हुए ही नहीं, भाजपा में आने के बाद भी वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने रहे लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया है। 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राव इंद्रजीत सिंह अब भाजपा टिकट पर भी लगातार तीसरी बार गुरुग्राम से चुनाव लड़ रहे हैं। एक ही संसदीय क्षेत्र - गुरुग्राम से जीत की हैट्रिक वे 2019 में ही लगा चुके हैं।
इतना ही नहीं, राव इंद्रजीत सिंह प्रदेश के ऐसे भी पहले नेता हैं, जो पिछले बीस वर्षों से लगातार केंद्र में मंत्री पद पर हैं। सबसे पहले उन्होंने 1998 में महेंद्रगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि इसके बाद 1999 में हुए आमचुनावों में उन्हें भाजपा की डॉ़ सुधा यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 1999 का चुनाव भाजपा और इनेलो ने मिलकर लड़ा था और दोनों पार्टियों ने अपने हिस्से की पांच-पांच सीटों यानी सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इससे पहले वे विधानसभा सदस्य रह चुके थे। 2004 में उन्होंने फिर महेंद्रगढ़ से जीत हासिल की और केंद्र में मंत्री रहे। इसके बाद आए परिसीमन में महेंद्रगढ़ को भिवानी से मिलाकर भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र बना दिया और गुरुग्राम अस्तित्व में आया। 2009 में इंद्रजीत ने गुरुग्राम से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2009 में केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में मंत्री बने रहे। इसके बाद 2014 और 2019 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में मंत्री बने हुए हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए राव इंद्रजीत सिंह इस बार भाजपा टिकट पर लड़े और लगातार तीसरी बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे। 2019 में वे लगातार चौथी बार संसद पहुंचे। भाजपा ने इस बार भी उन्हें गुरुग्राम से ही टिकट दिया है। ऐसे में राव इंद्रजीत जहां लगातार पांचवीं बार जीत का नया रिकार्ड बनाने तथा संसद में पहुंचने का ‘सिक्सर’ लगाने की जुगत में हैं। हरियाणा की राजनीति ‘लालों’ के इर्द-गिर्द रही है। इनमें चौ़ देवीलाल, चौ़ भजनलाल व चौ़ बंसीलाल परिवार शामिल हैं।

गुरुग्राम सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र

गुरुग्राम लोकसभा वर्तमान में हरियाणा का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। इसमें करीब 25 लाख मतदाता हैं। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम लोकसभा हरियाणा का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र रहा है। खास बात यह है कि 2009 में गुरुग्रम लोकसभा बनने के बाद राव इंद्रजीत यहां से चौथी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। गुरुग्राम जिला के पटौदी, बादशाहपुर, गुरुग्राम व सोहना के अलावा मेवात के नूंह, फिरोजपुर-झिरका व पुन्हाना तथा रेवाड़ी जिला के रेवाड़ी और बावल विधानसभा हलके इसके अंतर्गत आते हैं।

Advertisement

हैट्रिक के लिए कृष्णपाल और धर्मबीर मैदान में

लोकसभा में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए फरीदाबाद से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और भिवानी-महेंद्रगढ़ से मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह चुनावी रण में उतरे हैं। केपी गुर्जर हरियाणा विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं और वे भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे हैं।

2014 में उन्होंने पहली बार फरीदाबाद से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 में भी वे संसद पहुंचने में कामयाब रहे। गुर्जर पिछले करीब दस वर्षों से मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं। अब भाजपा ने उन्हें तीसरी बार टिकट दिया है। इसी तरह से 2014 और 2019 में भिवानी-महेंद्रगढ़ से भाजपा सांसद रहे धर्मबीर सिंह भी हैट्रिक के लिए मैदान में उतरे हैं। रोहतक से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं।

एक ही संसदीय सीट से 4 बार सांसद का रिकार्ड आज भी पंडित चिरंजीलाल शर्मा के नाम

एक ही संसदीय क्षेत्र से लगातार चार बार संसद पहुंचने का रिकार्ड आज भी पंडित चिरंजीलाल शर्मा के नाम दर्ज है। सबसे पहले उन्होंने 1980 में करनाल संसदीय सीट से जीत हासिल की। इसके बाद वे 1984, 1989 और 1991 में भी करनाल संसदीय सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 1996 के चुनावों में चिरंजी लाल शर्मा भाजपा के आईडी स्वामी के हाथों चुनाव हारे। चिरंजीलाल शर्मा के बेटे कुलदीप शर्मा हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2019 में उन्होंने करनाल से भाजपा के संजय भाटिया के मुकाबले चुनाव लड़ा था लेकिन साढ़े छह लाख से भी अधिक मतों के अंतर से चुनाव हारे।

हुड्डा भी लगा चुके जीत की हैट्रिक, चौथी बार कैप्टन इंद्र सिंह के हाथों हारे चुनाव

हरियाणा के पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी चार बाद सांसद रह चुके हैं। हालांकि वे लगातार चार बार नहीं जीत सके।

अरविंद शर्मा

1999 में वे रोहतक से इनेलो के कैप्टन इंद्र सिंह के हाथों चुनाव हार गए। इससे पहले वे चौ़. देवीलाल को लगातार तीन बार इसी सीट से शिकस्त दे चुके थे। रोहतक के मौजूदा सांसद डॉ़. अरविंद शर्मा भी चार बाद सांसद रह चुके हैं। इसी तरह से पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के पिता चौ़ दलबीर सिंह भी सिरसा से चार बार संसद पहुंचे थे। अंबाला से रामप्रकाश भी चार बाद लोकसभा पहुंचे। पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना भी चार बाद सांसद रह चुके हैं। वे तीन बाद फरीदाबाद से और एक बार यूपी की मेरठ सीट से लोकसभा पहुंचे।

Advertisement
Advertisement