Rangbhari Ekadashi 2025 : जब श्रीहरि की बातें सुन भक्त की आंखें हो गई थी नम... आप भी नहीं जानते होंगे होलिका एकादशी की ये कहानी
चंडीगढ़, 10 मार्च (ट्रिन्यू)
Rangbhari Ekadashi 2025 : रंगभरी एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह की एकादशी को मनाई जाती है। इसे 'होलिका एकादशी' भी कहते हैं। यह दिन विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है। इस दिन का महत्त्व खासकर उत्तर भारत में अधिक है। यह एकादशी होली महोत्सव से पहले आती है और इस दिन का विशेष संबंध रंगों से जुड़ा हुआ होता है। इसे लेकर एक प्रसिद्ध कथा प्रचलित है जो भगवान विष्णु और उनके भक्तों के प्रेम और आस्था को दर्शाती है।
कहानी इस प्रकार है...
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक छोटे से गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और हर समय उनके ध्यान में रहते थे। इस परिवार के एक छोटे से पुत्र का नाम 'विशुद्ध' था। वह बहुत ही कर्तव्यनिष्ठ और ईश्वर में अटूट विश्वास रखने वाला लड़का था। वह रोज भगवान विष्णु का पूजन करता और उनका भव्य ध्यान करता था।
जब गांव वालों ने उड़ाया विशुद्ध का मजाक
एक दिन विशुद्ध के गांव में एक दुखद घटना घटी। गांव के सारे लोग रंगों से होली मनाने में व्यस्त थे लेकिन विशुद्ध अपनी धार्मिक कर्तव्यों को निभाते हुए पूजा करने में व्यस्त था। इसके कारण गांव वाले उसका मजाक उड़ाने लगे। वे उसे कहते थे, "तुम न तो हमारी तरह रंगों में रंजित हो सकते हो, न ही हमारी तरह होली मना सकते हो।" विशुद्ध को यह बात बहुत चुभी लेकिन उसने उन सभी की बातों का उत्तर सिर्फ भगवान श्री विष्णु के भव्य ध्यान से दिया।
श्रीहरि ने भक्त से कही ये बात
रात को भगवान विष्णु ने विशुद्ध को दर्शन दिए और कहा, "तुम्हारे हृदय में जो प्रेम है, वही सबसे सुंदर रंग है। तुमने जिस विश्वास और भक्ति से मेरा पूजन किया है, वही सुंदर रंग है। तुम्हारी भक्ति से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। तुम्हारे जैसा भक्त होली के रंगों से भी श्रेष्ठ है।"
भगवान की बातें सुन विशुद्ध की आंखों में आ गए आंसू
भगवान की बातों को सुनकर विशुद्ध की आंखों में आंसू आ गए। उसने भगवान से आशीर्वाद लिया। भगवान ने वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति रंगभरी एकादशी को व्रत करेगा और सच्चे मन से पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
विशुद्ध ने समझाया गांव वालों को रंगों का महत्व
इसके बाद, विशुद्ध ने गांव वालों को बताया कि असली रंग वह नहीं जो शरीर पर लगते हैं बल्कि वह रंग हैं जो हमारे मन और हृदय में भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा के रूप में होते हैं। रंगभरी एकादशी को भक्तिपूर्वक व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व इस कथा से स्पष्ट होता है।