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रामपाल यादव भाजपा से हुए बागी, कोसली से भरा बतौर निर्दलीय पर्चा

11:04 AM Sep 13, 2024 IST
रेवाड़ी स्थित कोसली चुनाव कार्यालय में नामांकन पत्र जमा करवाते भाजपा के बागी रामपाल यादव। -हप्र

हमारे प्रतिनिधि
रेवाड़ी, 12 सितंबर
कोसली विधानसभा क्षेत्र में एक नया घटनाक्रम उस समय देखने को मिला, जब भाजपा किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता रामपाल यादव ने पार्टी से त्यागपत्र देते हुए भाजपा प्रत्याशी अनिल डहीना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और निर्दलीय के तौर पर पर्चा भर दिया। केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक अनिल डहीना को जैसे ही कोसली हलके से पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया, वैसे ही स्थानीय भाजपा दो फाड़ हो गई।
एक गुट में राव इन्द्रजीत समर्थक व दूसरे गुट में टिकट से वंचित व पुराने भाजपाई शामिल हैं। काफी दिनों से यह चर्चा गर्म थी कि जिस अनिल डहीना को राव ने टिकट दिलवाई है, उस पर आरोप है कि लोकसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी डा. अरविन्द शर्मा की खिलाफत व कांग्रेस की मदद की। यह आरोप पुराने भाजपाई खुलेआम लगाते हैं। उनका कहना है कि ऐसे प्रत्याशी को वे कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
ये नाराज नेता व कार्यकर्ता अभी तक अनिल डहीना के चुनाव प्रचार में व उनके साथ कहीं दिखाई नहीं दे रहे, बल्कि भावी रणनीति को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे। इनकी गुप्त बैठकें हुईं कि मिलकर किसी एक प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाए। इसी रणनीति के तहत बीती रात किसान मोर्चा के नेता व बहुत ही पुराने वरिष्ठ कार्यकर्ता रामपाल यादव ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और निर्दलीय के तौर पर नामांकन भर दिया। उनके साथ भाजपा कार्यकर्ता भूप सिंह, श्योताज सिंह, ओमकार, ओमप्रकाश भी थे।
कोसली से भाजपा की टिकट के दावेदारों में पूर्व मंत्री विक्रम ठेकेदार, जिला पार्षद सुरेन्द्र माड़िया, शारदा यादव, महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सरोज यादव, वरिष्ठ नेता वीर कुमार यादव आदि शामिल थे। लेकिन टिकट वितरण में राव इन्द्रजीत की चली और एकदम नये चेहरे अनिल डहीना को मैदान में उतार दिया गया। वरिष्ठ नेताओं के अनदेखी के विरोध में रामपाल यादव खुलकर सामने आ गए हैं। कोसली में अनिल डहीना के नामांकन के समय आयोजित राव इन्द्रजीत सिंह की जनसभा से शारदा यादव को छोड़कर बाकी सभी नेता नदारद रहे।
निर्दलीय मैदान में उतरे रामपाल यादव ने कहा कि जो कार्यकर्ता दशकों से पार्टी के लिए काम कर रहे थे, उनकी राव इंद्रजीत सिंह के दबाव में अनदेखी की गई है। टिकट उसे दे दिया गया जो कांग्रेस के संपर्क में रहा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पुराने कार्यकर्ता जल्द ही उनके साथ आएंगे। वे उनसे संपर्क कर रहे हैं।

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