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गर्भगृह पहुंची रामलला की मूर्ति

06:45 AM Jan 19, 2024 IST
गर्भगृह पहुंची रामलला की मूर्ति
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नयी दिल्ली, 18 जनवरी (ट्रिन्यू/एजेंसी)
22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले बृहस्पतिवार को मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना कर दी गयी। मुख्य समारोह से पहले विस्तृत अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में राम लला की मूर्ति को ‘जय श्री राम’ के हर्षोल्लास के बीच ‘गर्भ गृह’ में रखा गया। बताया गया कि बुधवार रात को क्रेन की मदद से मूर्ति को अंदर लाने से पहले गर्भगृह में एक विशेष पूजा आयोजित की गई। विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने इस संबंध में एक वीडियो साझा किया। गौर हो कि कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई राम लला की मूर्ति को राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है। इस बीच, केंद्र सरकार के सभी कार्यालय 22 जनवरी को आधे दिन के लिए बंद रहेंगे। ताकि लोग खुशियां मना सकें। कई राज्यों ने भी प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में छुट्टी और ड्राई डे की घोषणा की है।

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अयोध्या में बृहस्पतिवार को गर्भ गृह में भगवान राम की मूर्ति रखे जाने के बाद निर्माणाधीन मंदिर में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ (बाएं) और बुधवार देर रात क्रेन के जरिये मूर्ति को अंदर ले जाया गया। - एएनआई

राम मंदिर पर स्मारक डाक टिकट जारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अयोध्या में राम मंदिर पर स्मारक डाक टिकट और दुनिया भर में भगवान राम पर जारी डाक टिकटों के संग्रह की एक पुस्तक जारी की। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज पवित्र अयोध्या धाम की विरासत और भगवान श्री राम को समर्पित स्मारक डाक टिकट जारी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।’ इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि छह डाक टिकट राम मंदिर, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, जटायु, केवटराज और मां शबरी पर हैं। 48 पृष्ठों की इस पुस्तक में अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, कंबोडिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों सहित 20 से अधिक देशों द्वारा जारी डाक टिकटों को शामिल किया गया है।

नारियल पानी पीकर जमीन पर सो रहे हैं मोदी

बतौर मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों ‘यम नियम’ का पालन कर रहे हैं। 11 दिवसीय पवित्रता अनुष्ठान के तहत इन नियमों में नारियल पानी पीना और जमीन पर सोना शामिल है। यह नैतिक और आध्यात्मिकता की विशेष तपस्या है जिसमें ध्यान और सात्विक भोजन के सेवन के माध्यम से शरीर और आत्मा को शुद्ध करना शामिल है।

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कुल्लू रघुनाथ के छड़ीबरदार, विशेष भेंट लेकर गए रामलला के द्वार

374 साल पुराना रिश्ता, वर्ष 1650 में अयोध्या से आई थी अंगुष्ठ कद श्रीराम मूर्ति

कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित रघुनाथ जी की मूर्ति और (दाएं) भेंट लेकर अयोध्या रवाना होते मुख्य सेवक महेश्वर सिंह। - निस

पुरुषोत्तम शर्मा/निस
मंडी, 18 जनवरी
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू स्थित रघुनाथ मंदिर प्रांगण के आसपास रहने वालों के लिए बृहस्पतिवार का दिन एक अलग उत्साह का दिन रहा। उत्साह अयोध्या से विशेष नातेदारी को यादगार बनाने का। उत्साह श्रीराम मंदिर के लिए भेंट देने का। चरण पादुका, चौंउर और चौकी के दर्शन का। असल में अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने के लिए भगवान रघुनाथ के मुख्य सेवक छड़ीबरदार राजा महेश्वर सिंह अयोध्या के लिए रवाना हुए। साथ रहे रघुनाथ के पुजारी सहित तीन अन्य लोग। भगवान श्रीराम को रघुनाथ की ओर से चांदी की चरण पादुका, चौंउर और चौकी भेंट की जाएगी।
रामलला की जन्मभूमि अयोध्या से देवभूमि कुल्लू का 374 साल पुराना रिश्ता है। सन 1650 में भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या से कुल्लू लाया गया था। वर्ष 1660 में आश्विन की दशमी तिथि को कुल्लू के ढालपुर में भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में देवी-देवताओं का बड़ा यज्ञ हुआ था और इसी यज्ञ को कुल्लू दशहरा के रूप में मनाया जाने लगा। यहां भगवान रघुनाथ को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है जहां जिले के 365 देवी-देवता दशहरे में हाजिरी भरते हैं। आज भी रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर में भगवान राम के बाल रूप के सारे कारज विधि-विधान के साथ पूर्ण किए जाते हैं। अयोध्या रवाना होने से पहले रघुनाथ के मुख्य छड़ीवरदार पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने कहा, ‘हमें एक सप्ताह पूर्व ही निमंत्रण प्राप्त हुआ। अयोध्या के साथ चार सौ वर्षों का हमारा संबंध है। सौभाग्य की बात है कि रामलला अब भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। आने वाले समय में यह स्थल अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक और ज्ञान का केंद्र बनेगा। सभी को 22 जनवरी का इंतजार है जब दीपावली सरीखा त्योहार मनेगा।’

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