Jharkhand: रामदास सोरेन ने ली चंपई की जगह, राज्यपाल ने दिलाई मंत्री पद की शपथ
रांची, 30 अगस्त (भाषा)
Ramdas Soren: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक रामदास सोरेन ने शुक्रवार को हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने राज्य मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की जगह ली है।
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झामुमो नीत गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं और कई सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में रामदास सोरेन को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में रामदास सोरेन को बधाई दी और 'झारखंड सरकार में मंत्री के तौर पर' शपथ लेने के लिए शुभकामनाएं दीं।
शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद, रामदास सोरेन ने मुख्यमंत्री और झामुमो नीत गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं के साथ झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात की। रामदास सोरेन ने 2009 और 2019 में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और वह झामुमो की पूर्वी सिंहभूम जिला इकाई के अध्यक्ष भी हैं। वह झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और चंपई सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका में रहे।
झारखंड आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और उन्हें कोल्हान क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओं में से एक माना जाता है। चंपई सोरेन ने बुधवार को मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद रामदास सोरेन को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। चंपई आज दोपहर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे।
चंपई ने दावा किया था कि राज्य सरकार की 'वर्तमान कार्यशैली और नीतियों' ने उन्हें उस पार्टी को छोड़ने के लिए मजबूर किया, जिसकी उन्होंने कई वर्षों तक सेवा की। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन (48) को जनवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद दो फरवरी को चंपई झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चंपई ने तीन जुलाई को मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था और चार जुलाई को सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। चंपई ने 28 अगस्त को राज्य विधानसभा के सदस्य और झारखंड के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन को लिखे पत्र में वरिष्ठ आदिवासी नेता ने कहा कि झामुमो की वर्तमान कार्यशैली से व्यथित होकर उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।