सरयू के तट पर होगा ‘रामायण आध्यात्मिक वन’
07:29 AM Jan 12, 2024 IST
नयी दिल्ली, 11 जनवरी (एजेंसी)
अयोध्या की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जल्द ही इस शहर में सरयू नदी के तट पर ‘रामायण आध्यात्मिक वन’ में भगवान राम के 14 साल के वनवास काल की जानकारी हासिल कर सकेंगे। पारिस्थितिक वन क्षेत्र एक खुले संग्रहालय जैसा होगा और यह अयोध्या ‘मास्टर प्लान’ का हिस्सा है। अयोध्या पुनर्विकास परियोजना के मुख्य योजनाकार दीक्षु कुकरेजा ने बताया, ‘भगवान राम, रामायण और अयोध्या के साथ सरयू नदी हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। प्रस्तावित आध्यात्मिक वन नदी तट का विस्तार है, जिसे पर्यावरण-अनुकूल वन के रूप में तैयार किया गया है।’उन्होंने बताया कि इस आध्यात्मिक वन को रामायण की विषयवस्तु पर विकसित किया गया है, जिसमें विशेष रूप से वनवास अवधि के दौरान श्री राम की यात्रा को दर्शाया गया है। कुकरेजा ने कहा, ‘एक पारिस्थितिक वन में राम के वनवास काल का अनुभव प्रदान करने की कल्पना करते हुए, यह न केवल भक्तों को बल्कि पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करेगा। यह आध्यात्मिकता, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा।’
‘मास्टर प्लान’ के अनुसार शहर को उन्नत करने के लिए 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ अयोध्या का पुनर्विकास 10 वर्ष में पूरा किया जाएगा। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) योजना के माध्यम से रामायण आध्यात्मिक वन का विकास किया जा रहा है। अयोध्या में एक सड़क परियोजना ‘भ्रमण पथ’ सरयू को राम मंदिर से जोड़ेगी। यह परियोजना वाराणसी में काशी विश्वनाथ गलियारे के समान है।
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अयोध्या की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जल्द ही इस शहर में सरयू नदी के तट पर ‘रामायण आध्यात्मिक वन’ में भगवान राम के 14 साल के वनवास काल की जानकारी हासिल कर सकेंगे। पारिस्थितिक वन क्षेत्र एक खुले संग्रहालय जैसा होगा और यह अयोध्या ‘मास्टर प्लान’ का हिस्सा है। अयोध्या पुनर्विकास परियोजना के मुख्य योजनाकार दीक्षु कुकरेजा ने बताया, ‘भगवान राम, रामायण और अयोध्या के साथ सरयू नदी हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। प्रस्तावित आध्यात्मिक वन नदी तट का विस्तार है, जिसे पर्यावरण-अनुकूल वन के रूप में तैयार किया गया है।’उन्होंने बताया कि इस आध्यात्मिक वन को रामायण की विषयवस्तु पर विकसित किया गया है, जिसमें विशेष रूप से वनवास अवधि के दौरान श्री राम की यात्रा को दर्शाया गया है। कुकरेजा ने कहा, ‘एक पारिस्थितिक वन में राम के वनवास काल का अनुभव प्रदान करने की कल्पना करते हुए, यह न केवल भक्तों को बल्कि पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करेगा। यह आध्यात्मिकता, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा।’
‘मास्टर प्लान’ के अनुसार शहर को उन्नत करने के लिए 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ अयोध्या का पुनर्विकास 10 वर्ष में पूरा किया जाएगा। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) योजना के माध्यम से रामायण आध्यात्मिक वन का विकास किया जा रहा है। अयोध्या में एक सड़क परियोजना ‘भ्रमण पथ’ सरयू को राम मंदिर से जोड़ेगी। यह परियोजना वाराणसी में काशी विश्वनाथ गलियारे के समान है।
108 फुट लंबी अगरबत्ती
भव्य समारोह से पहले, मंदिर के अधिकारियों को कई उपहार भेजे जा रहे हैं। गुजरात के वडोदरा में छह महीने की अवधि में 108 फुट लंबी अगरबत्ती तैयार की गई है, जिसका वजन 3,610 किलोग्राम है और यह लगभग 3.5 फुट चौड़ी है। अगरबत्ती तैयार करने वाले वडोदरा निवासी विहा भरवाड ने बताया, ‘यह अगरबत्ती पर्यावरण के अनुकूल है और लगभग डेढ़ महीने तक जलेगी और कई किलोमीटर तक अपनी सुंगध फैलाएगी।’ उन्होंने कहा कि इस अगरबत्ती के लिए 376 किलोग्राम गुग्गल, 376 किलोग्राम नारियल गोला, 190 किलोग्राम घी, 1470 किलोग्राम गाय का गोबर, 420 किलोग्राम जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। भरवाड और 25 अन्य भक्त एक जनवरी को विशाल अगरबत्ती के साथ वडोदरा से रवाना हुए हैं और उनका काफिला 18 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगा।
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