Ram Mandir : छह साल के 'मोहब्बत' ने श्रीराम को अर्पित की श्रद्धा, 1200 KM दौड़कर पहुंचा था अयोध्या; अब CM योगी ने किया सम्मानित
अबोहर, 11 जनवरी (दविंद्र पाल)।
महज छह साल की उम्र, नन्हे कदम और दिल में भगवान श्रीराम के प्रति असीम श्रद्धा। अबोहर के छोटे से गांव किल्लियांवाली के मासूम मोहब्बत ने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे सुनकर हर आंख नम हो जाए। 1200 किलोमीटर लंबी दौड़, 58 दिनों की अथक यात्रा और अंत में सरयू के किनारे श्रीराम की नगरी अयोध्या में अपना सपना पूरा करते हुए यह बच्चा सबका दिल जीत ले गया।
शनिवार को भगवान श्रीराम के श्री विग्रह प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित भव्य समारोह में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस छोटे से बालक को मंच पर बुलाया, तो पूरा पंडाल तालियों और जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। मोहब्बत मंच तक भी दौड़ते हुए पहुंचा, मानो यह उसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव हो। मुख्यमंत्री ने उसे गले लगाया, उसकी पीठ थपथपाई और कहा, "यह बच्चा हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।"
‘राम’ के लिए दौड़ा ‘मोहब्बत’
यह यात्रा सिर्फ 1200 किलोमीटर की दूरी नहीं थी, यह श्रद्धा, समर्पण और साहस की परीक्षा थी। 14 नवंबर, 2024 को अबोहर के श्री बालाजी धाम में माथा टेककर मोहब्बत ने अपने सफर की शुरुआत की। वह हर दिन 19-20 किलोमीटर दौड़ता रहा। ठंड की सर्द हवाओं ने उसे नहीं रोका, थकावट के थपेड़ों ने उसकी रफ्तार कम नहीं की। हर कदम पर उसका एक ही मंत्र था– “जय श्रीराम।”
श्रद्धा और साहस ने लिखी नई कहानी
मोहब्बत ने न तो दौड़ के दौरान अपने छोटेपन का बहाना बनाया और न ही चुनौतियों से घबराया। इस नन्हे बालक ने हर पड़ाव पर श्रीराम की भक्ति से अपनी ऊर्जा जुटाई। जब 10 जनवरी की शाम उसने सरयू तट पर अपनी दौड़ पूरी की, तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। अयोध्या की मिट्टी को छूकर उसने जैसे अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल कर ली।
सीएम योगी का भावुक स्वागत
जब मोहब्बत को मंच पर बुलाया गया, तो वह दौड़ते हुए कारसेवक पुरम से मंच तक पहुंचा। मुख्यमंत्री योगी ने उसे गले लगाया, अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया और कहा, "मोहब्बत ने साबित कर दिया कि भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा किसी उम्र या सीमा की मोहताज नहीं। उसकी यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है।"
हर दिल में बसा मोहब्बत का संदेश
इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भी मोहब्बत की इस साहसिक उपलब्धि की सराहना की। मोहब्बत की यह यात्रा हर किसी के लिए एक सबक है कि सच्चा समर्पण और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
मोहब्बत की मां के आंसू और गर्व
मोहब्बत की मां ने भावुक होते हुए कहा, “यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा पल है। मेरे बेटे ने जो किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं।” उन्होंने बताया कि मोहब्बत ने यह दौड़ पूरी करने के लिए न केवल खुद को शारीरिक रूप से तैयार किया, बल्कि मन में भगवान श्रीराम के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा का संकल्प लिया।