Rajya Sabha परिवार के हित में काम करती रहीं कांग्रेस सरकारें : निर्मला सीतारमण
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (एजेंसी)
Rajya Sabha केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर आरोप जड़े। ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सीतारमण ने कहा कि संविधान संशोधनों के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने न तो प्रक्रिया का पालन किया और न ही संविधान की भावना का कोई सम्मान किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने केवल एक परिवार, वंश की मदद करने के लिए संविधान में संशोधन किए।
Rajya Sabha 42वें संशोधन को लेकर जयराम रमेश से हुई नोकझोंक
आपातकाल के दौरान 1976 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार द्वारा किए गए 42वें संशोधन को लेकर सीतारमण और कांग्रेस के जयराम रमेश के बीच नोकझोंक भी हुई। सीतारमण ने मशहूर लेखक ग्रैनविले ऑस्टिन के हवाले से कहा, ‘किस तरह से 42वां संशोधन पारित किया गया था। विपक्षी नेता जेल में थे और राज्यसभा में एक भी व्यक्ति ने विरोध नहीं किया। लोकसभा में उनमें से सिर्फ 5 (सदस्यों) ने इसके खिलाफ बोला।’ रमेश ने सीतारमण पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑस्टिन के शब्दों का चुनिंदा इस्तेमाल किया और बहुत सारी चीजों को नजरअंदाज कर दिया। रमेश ने कहा कि 1978 में जब 44वां संशोधन पारित किया गया था, तब इंदिरा गांधी ने संशोधन के समर्थन में मतदान किया था, जिसमें 42वें संशोधन के कुछ हिस्सों को हटाने का प्रस्ताव भी था।
Rajya Sabha नड्डा ने याद दिलाया- तब मोरारजी देसाई ने पीएम
रमेश के हस्तक्षेप के तुरंत बाद, सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि जब यह संविधान संशोधन किया गया था, तब मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे न कि इंदिरा गांधी। रमेश ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि इंदिरा गांधी उस समय प्रधानमंत्री थीं। सीतारमण ने स्वीकार किया कि जयराम और नड्डा द्वारा उठाए गए बिंदु सही हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने भारी चुनावी हार का सामना करने के बाद 44वें संशोधन का समर्थन किया।
ये था 42वें संविधान संशोधन में
42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के तहत भारतीय संविधान में तीन नए शब्द ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं अखंडता’ जोड़े गए थे, जबकि 44वां संविधान संशोधन आपातकाल के दौरान किए गए कुछ संवैधानिक परिवर्तनों को वापस करने के लिए 1978 में किया गया था।