पिच पर आग उगलने लगी ‘राजधानी एक्सप्रेस’
अरुण नैथानी
कभी रावलपिंडी से चलने वाली तेज ट्रेन के नाम पर पाक के तूफानी गेंदबाज शोयब अख्तर को ‘रावलपिंडी एक्सप्रेस’ कहा जाता था। अब भारत के तूफानी गेंदबाजी की खोज पूरी होती दिख रही है। अब देश की राजधानी दिल्ली का आग उगलती गेंदें डालने वाला मयंक यादव ‘राजधानी एक्सप्रेस’ के नाम से पुकारा जा रहा है। अभी भारत की टीम में उसका चयन नहीं हुआ है, लेकिन डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा स्पीड की गेंद फेंककर उसने आईपीएल में विपक्षी टीम के पंजे से जीत छीनी हैं। इतिहास रचा है, अपने पहले डेब्यू मैच और दूसरे मैच में अपनी आग उगलती गेंदों के बूते लगातार दो बार मैन ऑफ द मैच का खिताब जीतकर। लगता है भारत को अपना पहला खतरनाक गेंदबाज मिल गया है। सचमुच जमीन से उखड़कर दिल्ली में बसे उनके परिवार के लिये यह सुनहरे सपनों का सच होने जैसा है। उस पिता के लिये भी जो बेटे से उम्मीद लगाए रहे कि वह वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज कर्टली एंब्रोस की तरह घातक गेंदबाजी करके सामने के बल्लेबाज को भयभीत करे।
सचमुच, जिन्हें खुद पर भरोसा होता है और जीवन में बड़े लक्ष्य हासिल करने होते हैं, वे छोटे अवसरों को नजरअंदाज कर देते हैं। वे लीक तोड़ने में विश्वास करते हैं। उनकी नजर अर्जुन की तरह बड़े लक्ष्य चिड़िया की आंख पर होती है। ठीक इसी तरह जब निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे मयंक यादव ने अपने घर में कहा कि वह स्कूल छोड़कर क्रिकेट खेलना चाहता है तो घर में बवाल हो गया। आम परिवार की सोच आज भी ‘पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब’ की उक्ति पर टिकी है। यही वजह है कि मयंक के परिवार ने उसके स्कूल छोड़ने के फैसले पर हाय-तौबा मचाई। लेकिन ये मयंक का खुद पर भरोसा ही था, जो उसने रिस्क उठाया था। उसने कह दिया कि छह महीने में यदि सफल न हुआ तो वापस स्कूल ज्वाइन कर लूंगा। दूसरी बार जब दिल्ली की चर्चित सोनेट क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण के दौरान जब वह सर्विसेज की टीम में सिलेक्ट हुआ और उसे नौकरी का ऑफर मिला तो उसने ठुकरा दिया। मयंक में गजब का धैर्य है। उसकी गेंदबाजी को संवारने वाले कोच तारक सिन्हा खासे नाराज हुए कि क्यों ऐसा अवसर छोड़ रहा है। लेकिन शायद मयंक को अपनी क्षमताओं का पता था। उसे खुद पर भरोसा था। संकल्प था कि दिल्ली की टीम में ही खेलना है। उसका संकल्प अब हकीकत बन रहा है। भारतीय क्रिकेट के आने वाले दशक मयंक के नाम होने वाले हैं बशर्ते वह अपनी फिटनेस कायम रख सके। अपने को चोट से बचा सके। इसी फिटनेस की समस्या के कारण उसे आईपीएल के पिछले सीजन में लखनऊ ज्वाइंट की टीम में चयनित होने के बावजूद बाहर बैठना पड़ा। एक तूफानी गेंदबाज टीम में एक दर्शक की तरह शामिल हो, यह असहनीय जैसा होता है। लेकिन मयंक के धैर्य की प्रशंसा करनी होगी कि लखनऊ ज्वाइंट के लिये पिछले सीजन में बीस लाख की बेस प्राइज में सिलेक्ट होने के बावजूद वह मैदान से बाहर रहा।
मयंक पश्चिमी दिल्ली के उसी इलाके से आते हैं जहां के विराट कोहली हैं। यह इलाका देश को एक और क्रिकेट का नगीना दे रहा है। वह भी ‘राजधानी एक्सप्रेस’ जैसा तूफानी गेंदबाज। उसके जलवे दिख रहे हैं जबकि भारतीय क्रिकेट टीम के किसी भी फॉरमेट में चयन नहीं हुआ है। अब चयनकर्ता उसके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। भारत जैसे देश में जहां तेज गेंदबाजों का अकाल जैसा रहा है। निस्संदेह तूफानी गेंदबाज सामने वाली टीम में खौफ पैदा कर देता है। जीत छीनकर ले आता है। जैसा कि मयंक ने आईपीएल में पंजाब किंग्स के खिलाफ 155 किमी प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार से गेंद फेंककर पदार्पण मैच में 27 रन देकर तीन विकेट लिए और ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का अवार्ड जीता। उसने अपनी तेज गेंदों से शिखर धवन द्वारा लिखी जीत की इबारत को हार में तब्दील कर दिया। इसी तरह लगातार दूसरे मैच में रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु के साथ मुकाबले में गेंद की रफ्तार 156.7 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंची। उन्होंने महज 14 रन देकर तीन विकेट लिए। विकेट भी ग्लेन मैक्सवेल व कैमरन ग्रीन जैसे दमदार बल्लेबाजों के लिए।
मूल रूप से बिहार के सुपौल जिले के रतहो गांव के मयंक का जन्म दिल्ली में हुआ। गलियों से क्रिकेट की शुरुआत करने वाले मयंक ने अब आईपीएल में दमदार पारी के बूते टी-20 विश्वकप के लिये दावेदारी कर दी है। आने वाला समय मयंक है और वह लंबे समय तक देश के लिए प्रथम श्रेणी की क्रिकेट खेल सकता है। आज भले ही बालक मयंक में आतिशी गेंदबाजी की संभावना तलाशने वाले गुरु, सोनेट क्रिकेट एकेडमी के कोच तारक सिन्हा हमारे बीच में नहीं हैं और कोरोना ने उन्हें हम से छीन लिया है, लेकिन वे देश को एक आग उगलने वाला बॉलर दे गए हैं। सोनेट एकडेमी ने देश को आशीष नेहरा, शिखर धवन, ऋषभ पंत, आयुष बडोनी जैसे खिलाड़ी दिए हैं। उन्होंने ही मयंक को अहसास कराया था कि उसकी बोलिंग में आतिशी तेजी है। उन्होंने मयंक से कहा था कि वह अपनी उम्र के बच्चों के बजाय बड़ी उम्र के खिलाड़ियों के साथ खेले। लेकिन वह दिल्ली की तरफ से अंडर-14 व अंडर-16 के लिये नहीं खेल पाया। दिल्ली में ‘राजधानी एक्सप्रेस’ के नाम से विख्यात मयंक का खौफ सिर पर बॉल मारने वाले खिलाड़ी के रूप में है। अभी तो इस सितारे ने हार्ड लेंथ गेंदबाजी की है, जिस दिन यॉर्कर डालने लगेगा, वह एक खतरनाक गेंदबाज बन जाएगा। इस दुबले-पतले-सांवले और अंतर्मुखी मयंक से देश को बड़ी उम्मीदें हैं।