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कांगड़ा घाटी में रेल, चुनावी वादों में हुई फेल

07:49 AM Apr 11, 2024 IST

रवीन्द्र वासन/निस
धर्मशाला, 10 अप्रैल
क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांगड़ा घाटी रेल लाइन चुनावी वादे में फेल होकर रह गई है। रेलवे की उदासीनता के चलते पिछले 74 साल में 164.6 किलोमीटर का रेल ट्रैक ब्रॉड गेज लाइन में नहीं बदल पाया। नैरोगेज लाइन को ब्रॉडगेज लाइन में बदलने के लिए कई योजनाऐं बनाई गईं, लेकिन सभी फाइलों तक ही सीमित रहीं। पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे ट्रैक पिछले सात दशकों से विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा रहा है। इस रेलवे ट्रैक को ब्राडगेज में बदलने के लिए दो बार सर्वे भी किया गया। दिसंबर 2018 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने धर्मशाला प्रवास के दौरान कहा कि शिमला-कालका और पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज ट्रैक देश की ऐतिहासिक धरोहर हैं। इसलिए इन्हें नैरोगेज से ब्रॉडगेज नहीं किया जाएगा। इनका विस्तारीकरण कर छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
कांगड़ा रेलवे स्टेशन को हेरिटेज की तरह तैयार किया जाना प्रस्तावित था। यहां कांगड़ा की संस्कृति और पेंटिंग को दर्शाने के लिए म्यूजियम बनाया बनाया जाना प्रस्तावित था ताकि कांगड़ा घाटी में घूमने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक संस्कृति से रूबरू हो सकें लेकिन यह वात भी सिरे नही चढ़ पाई।
पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल सेक्शन पर चलने वाली 14 ट्रेनों को चक्की पुल के कारण निरस्त कर दिया गया है। पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज लाइन की योजना आजादी से पूर्व मई 1926 में अंग्रेजों ने बनाई और 1929 में चालू की। 164.6 किलोमीटर लंबी लाइन पर मौजूदा समय में रोजाना 7 ट्रेनें अप और 7 डाउन चलती हैं। ये ट्रेनें देश के मैदानी इलाकों से कांगड़ा घाटी को जोड़ती हैं। रेलवे इसे कालका-शिमला और दार्जिलिंग रेल मार्ग की तरह वर्ल्ड हेरिटेज बनाना चाहता था लेकिन आज तक कुछ नहीं हो पाया। रेलवे के पास एडवांस टेक्नोलॉजी के होते हुए भी 3 साल में चक्की का पुल नहीं बना पाया।
शानन बिजली प्रोजेक्ट जोगिंद्रनगर कांगड़ा घाटी रेललाइन की देन है। शानन पावर हाउस जोगिंदरनगर से 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मेगावाट क्षमता में भारत की पहली जलविद्युत परियोजना है।

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