राग-रागनी
सत्यवीर नाहडि़या
आसमान-सा पिता बताया, धरती-सी महतारी।
पिता हुवै सै जिम्मेदारी, न्यूँ या पदवी भारी।।
पिता हुवै तै काम बणन म्हं,माड़ी तेक हुवै सै।
राह दिखावै सदा इसी जो, पग-पग नेक हुवै सै।
परमपिता वो एक हुवै सै,जाणै दुनिया सारी।
पिता हुवै सै जिम्मेदारी, न्यूँ या पदवी भारी ।।
घर-कुणबे की ऊँच-नीच पै, हरदम ध्यान धरै वो।
बेटी-बेटे जी तै प्यारे, कुल म्हं ज्यान भरै वो।
सभका आदर-मान करै वो, रीत निभावै न्यारी।
पिता हुवै सै जिम्मेदारी, न्यूँ या पदवी भारी ।।
बिना बाप के बाळक हरदम, पग-पग रुळते पावैं।
ऐरे-गैरे नत्थू खैरे, किम्मै बी कह ज्यावैं।
कोये बी ना धीर बँधावैं, हो जद मारामारी।
पिता हुवै सै जिम्मेदारी, न्यूँ या पदवी भारी।।
फरज़ पिता का भोत बड़ा हो,सदा निभाणा चहिए।
जिम्मेदारी सभतै भारी, परण पुगाणा चहिए।
कह ‘नाहड़िया’ गाणा चहिए, सुर म्हं हो लयकारी।
पिता हुवै सै जिम्मेदारी, न्यूँ या पदवी भारी ।।