राग-रागनी
सत्यवीर नाहडि़या
सदी बीसमी के वै नायक, जाणै दुनिया सारी।
भीमराव बाबा की गाथा, जग म्हं सभतै न्यारी।।
पिता रामजी सुबेदार अर भीमाबाई माई।
गाम महू तै लंदन लग रै, चोक्खी करी पढ़ाई।
छुआछात नित साम्हीं आई, बिफता ठायी भारी।
भीमराव बाबा की गाथा, जग म्हं सभतै न्यारी।।
नौ भास्सां के जाणकार बण, न्यारी डिगरी पायी।
सोया देस जगावण लाग्ये, करड़ी मन म्हं ध्यायी।
पढ़ो-पढ़ाओ अलख जगायी, खोल्यी ग्यान-पिटारी।
भीमराव बाबा की गाथा, जग म्हं सभतै न्यारी।।
कानून मजूरां खात्यर वै, न्यारे कई बणाये।
खास बिधान बणाकै बाबा, सारे जग म्हं छाये।
सभतै सभ अधिकार दिवाये, पुज्जैं न्यूँ नर-नारी।
भीमराव बाबा की गाथा, जग म्हं सभतै न्यारी।।
अमर रहैं वे जुगां-जुगां लग,इसा बिधान बणाग्ये।
अणपढ़ता नै मार भगाओ, न्यूँ वै राह दिखाग्ये।
कह ‘नाहड़िया’ खोल बताग्ये, सभकी जिम्मेदारी।
भीमराव बाबा की गाथा,जग म्हं सभतै न्यारी।।