जींद में ‘लाडली योजना’ पर सवाल, दो विभाग अपनी-अपनी जिम्मेदारी से फेर रहे मुंह
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 5 जनवरी
जींद शहरी एरिया के जिन माता-पिता ने अपने यहां बेटियों को ही बेटा मान आज से लगभग 18-19 साल पहले सरकार की लाडली योजना को अपनाया था, अब महिला एवं बाल विकास विभाग उन बेटियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए अपना काम स्वास्थ्य विभाग के कंधे डाल रहा है। लाडली योजना का लाभ लेने में अब इन माता-पिता को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से साल 2005 में लाडली योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत किसी दंपति के यहां केवल एक लड़की या एक से ज्यादा लड़की होने पर एक बेटी के लिए पांच-पांच हजार की राशि के पांच-पांच बॉन्ड जारी किए थे। कुल मिलाकर यह राशि 25000 रुपए बनती है। लाड़ली योजना के तहत लाडली को 25000 की यह राशि उस समय मिलती है, जब वह 18 साल की हो जाती है। योजना में यह प्रावधान है कि लाडली योजना के पात्र माता-पिता अपनी बेटी के 18 साल की होने पर योजना की राशि लेने के लिए फार्म महिला एवं बाल विकास विभाग के पास जमा करवाएंगे। जींद जिले में दूसरे शहरों और ग्रामीण क्षेत्र में योजना में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन जींद शहर में रहने वाले उन माता-पिता के लिए लाडली योजना का फायदा लेना चुनौती बन गया है, जिनके निवास साल 2005 में जींद शहर में नॉन आईसीडीएस एरिया में थे। 2005 में जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग का जींद अर्बन सीडीपीओ कार्यालय नहीं था। इस कारण लाडली योजना के आवेदन जींद के स्वास्थ्य विभाग के पास जमा हुए।
जिम्मेदारी से क्यों मोड़ा जा रहा मुंह
माता-पिता लाडली योजना की मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि के भुगतान के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के पास जाते हैं, तो विभाग के अधिकारी उन्हें स्वास्थ्य विभाग के पास भेज देते हैं। यह स्थिति तब है, जब जींद में साल 2007 में महिला एवं बाल विकास विभाग का जींद शहरी सीडीपीओ कार्यालय बन गया था।
कायदे से उसी समय जींद शहरी क्षेत्र के माता-पिता के लाडली योजना के आवेदन जींद अर्बन सीडीपीओ दफ्तर में जमा होने चाहिए थे, लेकिन वहां आवेदन नहीं लिए गए और स्वास्थ्य विभाग के पास आवेदन आते गए। अब माता-पिता पहले महिला एवं बाल विकास विभाग के पास जाते हैं। वहां से उन्हें स्वास्थ्य विभाग के पास भेजा जाता है। स्वास्थ्य विभाग इन लोगों को फिर महिला एवं बाल विकास विभाग के पास भेजता है। इस तरह लाडली योजना के पात्र दंपति अपनी लाडली की 25000 रुपए की आर्थिक सहायता के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के बीच चक्करघिन्नी बनकर रह गए हैं।
बॉन्ड पर साफ लिखा है, आवेदन कहां होंगे जमा
महिला एवं बाल विकास विभाग की सरकार की लाड़ली योजना के तहत जो बॉन्ड लाड़ली के माता-पिता को दिए जाते हैं, उनके कॉलम नंबर 5 में साफ लिखा है कि इसके आवेदन महिला एवं बाल विकास विभाग के पास जमा होंगे। इसके बावजूद जींद शहरी क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग लाड़ली बेटियों के माता-पिता के आवेदन और मैच्योरिटी से जुड़े आवेदन नहीं ले रहा है, और उन्हें स्वास्थ्य विभाग के पास भेज रहा है। जींद के स्वास्थ्य विभाग की एक महिला अधिकारी खुद अपनी बेटी को इस योजना के तहत मिलने वाली राशि को लेकर जद्दोजहद कर रही हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
जींद के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पालेराम कटारिया ने कहा कि कायदे से लाडली योजना के आवेदन देने से लेकर लाडली के 18 साल की होने पर मैच्योरिटी के आवेदन जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग के जींद शहरी सीडीपीओ कार्यालय में जमा होने चाहिए। वे इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी से बात करेंगे और जरूरत पड़ी तो डीसी के नोटिस में भी मामले को लाया जाएगा। जिस विभाग की जो जिम्मेदारी है, वही उसे निभाए। लाडली के आवेदन देना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है।
एडीसी तक पहुंच चुका मामला
जींद शहरी क्षेत्र में लाडली योजना की राशि के भुगतान में लाडलियों के माता-पिता को हो रही इस परेशानी का मामला सीएम के जन संवाद कार्यक्रम से लेकर एडीसी तक पहुंच चुका है। तब जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी ने कहा था कि योजना के मैच्योरिटी के आवेदन जींद में स्वास्थ्य विभाग अपने पास जमा कर ले। ऐसे आवेदनों को हर महीने महिला एवं बाल विकास विभाग अपने पास मंगवा लेगा। तब सुलोचना कुंडू के पास महिला बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी का चार्ज था। कुछ दिन तक यह व्यवस्था जारी रही, लेकिन अब फिर महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के पास से आवेदन मंगवाने बंद कर दिए हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की संबंधित विंग को ही कहा जा रहा है कि वह इन आवेदनों पर अपने फॉरवर्डिंग लेटर लगाकर खुद महिला एवं बाल विकास विभाग के पास भेजे। स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राममेहर वर्मा का कहना है कि यह काम स्वास्थ्य विभाग का कतई नहीं है। वर्मा का कहना है कि उन्होंने साल 2013 में महिला बाल विकास विभाग के निदेशक से आरटीआई के तहत जींद अर्बन एरिया में लाड़ली योजना के आवेदन जमा करवाने बारे जानकारी मांगी थी। निदेशक ने जानकारी में बताया कि योजना के आवेदन जींद अर्बन के सीडीपीओ दफ्तर में जमा होंगे। जींद अर्बन सीडीपीओ कार्यालय आवेदन नहीं ले रहा।