भविष्य पर सवाल
बारह सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून लहरें अंक में सुषमा रामचंद्रन का लेख ‘वर्क फ्रॉम होम’ कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुई शैक्षिक-शिक्षण कार्यशैली का विस्तार से खुलासा करने वाला था। घर बैठे बच्चों को मोबाइल इंटरनेट व्हाट्सएप द्वारा दी जाने वाली शिक्षा आधी-अधूरी ज्ञान की सूचक है। कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते बच्चों के लिए मोबाइल टच खरीद पाना उनकी विवशता का मजाक है। ऑनलाइन घर बैठे शिक्षा बच्चों के मन में उठने वाली जिज्ञासा भरे अप्रत्यक्ष प्रश्नों का समाधान नहीं है। मोबाइल शिक्षा बच्चों को गुणकारी संस्कार न डाल कर उन्हें अपने लक्ष्य से भटका रही है। बोर्ड परीक्षाएं घर बैठे पास करना उनके लिए महान उपलब्धि है। ऐसे में बच्चों का भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगता है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
ड्रोन से अतिक्रमण
पाकिस्तान की तरफ से कई बार ड्रोन को भारतीय क्षेत्र में देखे जाने की घटना सामने आई। अभी कुछ दिनों पूर्व जम्मू में फिर दिखा ड्रोन बीएसएफ के जवानों ने खदेड़ा है। हवाई सीमा उल्लंघन कर नियमों को तोड़ रहा है। भारतीय क्षेत्र में ड्रोन की घुसपैठ का मुंह तोड़ जवाब देना आवश्यक है। तालिबान समर्थक पाक आतंकवादियों के संग़ठन के साथ मिलकर नई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के चक्कर में है। ड्रोन को खत्म करने हेतु ड्रोनरोधक सिस्टम लगाना आवश्यक है ताकि दोबारा घुसपैठ करने की हिमाकत न कर सके। सबक सिखाना भी आवश्यक है।
संजय वर्मा, धार, म.प्र.
संस्कृत को सम्मान
हि.प्र. के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने देश की विरासत संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए तीसरी से पांचवीं कक्षाओं के लिए संस्कृत को अनिवार्य करने का जो फैसला लिया है वह सराहनीय है, इस फैसले को केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के साथ भी जोड़कर देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री भी संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए बहुत गंभीर दिखते हैं। समय के साथ शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव जरूर होना चाहिए। प्रदेश में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सभी प्राइवेट स्कूलों को भी अमल में लाना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर