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आंख पर पट्टी बांधकर पढ़ने के दावे पर सवाल

11:00 AM Apr 01, 2024 IST
आंख पर पट्टी बांधकर पढ़ने के दावे पर सवाल
डबवाली में आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ने और रंग बताने के कारनामे का प्रदर्शन करती बच्ची। -निस
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इकबाल सिंह शांत/निस
डबवाली, 31 मार्च
आर्ट ऑफ लिविंग की प्रज्ञा योग शिक्षा से प्रशिक्षित एक बच्ची द्वारा आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ने व रंग पहचानने के दावे पर तर्कशील सोसायटी ने सवाल खड़े किए हैं। सोसायटी ने इसे चुनौती देते हुये अंधविश्वास व पाखंड बताया है।
तर्कशील सोसायटी डबवाली के अध्यक्ष पुष्पिंदर सिंह व जगतार सिंघेवाला ने बच्चे को सिखाने वाला ट्रेनर भी सोसायटी की शर्तों के अनुसार आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़कर दिखाने पर पांच लाख रुपए का इनाम देने की बात दोहराई।
बता दें कि, शनिवार को आर्ट ऑफ लिविंग डबवाली के अध्यक्ष व योगा टीचर डॉॅ. प्रेम छाबड़ा व वॉलंटियर सुमित अनेजा के सानिध्य में बच्ची प्राची ने प्रज्ञा योग का डेमो भी दिखाया था। जिसमें प्राची ने आंखों पर पट्टी बांधकर रंग, गणित ब्लॉक्स और कागज पर लिखा पढ़कर बताया। उसने अपनी मम्मी के हाथों में रखी अन्य वस्तुओं, उनका रंग, नोट व डॉलर की कीमत और उस पर अंकित नंबर भी पढ़कर बताये थे।
तर्कशील सोसायटी डबवाली की रविवार को पुष्पिंदर सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें पाखंड व अंधविश्वास फैलाने वालों का पर्दाफाश किये जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में सचिव जगतार सिंह, रणधीर सिंह लंबी, गुरसेवक सिंह लंबी, पवन कुमार, कामरेड सुख दयाल, मलकीत सिंह व कृष्ण कायत मौजूद रहे।
सोसायटी के सचिव जगतार सिंघेवाला ने बताया कि अंधविश्वास फैलाना और झूठी दैवीय शक्ति के दावे करना कानूनी जुर्म है। पहले भी डबवाली में एक ट्रेनर ने बच्चों को आंखों पर पट्टी बांध कर पढ़ना सिखाने का दावा करते हुए प्रशिक्षण शिविर के नाम पर लोगों से मोटी फीसें ली थीं। तर्कशील सोसायटी ने 16 जून 2015 को उसका पर्दाफाश किया था।
‘लोकतंत्र में सबको अपना पक्ष रखने का हक’
आर्ट ऑफ लिविंग के अध्यक्ष व योगा टीचर डॉॅ. प्रेम छाबड़ा ने बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग, बेंगलुरु में डिजाइंड अंतर्ज्ञान प्रक्रिया के अंतगर्त 5 से 18 वर्ष तक के बच्चों को प्रज्ञा योग सिखाया जाता है। प्रशिक्षण के बाद लगातार प्रैक्टिस से प्राची की भांति कई बच्चे इस लेवल तक पहुंच जाते हैं। तर्कशील सोसायटी के चैलेंज पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का हक है।

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