रेल यात्रा में चोरी सामान के मुआवजे का सवाल
श्रीगोपाल नारसन
रेल यात्रा के दौरान अगर यात्री यानि उपभोक्ता का सामान चोरी हो जाता है तो क्या पीड़ित यात्री उपभोक्ता रेलवे से चोरी हुए सामान की बाबत मुआवजा प्राप्त कर सकता है? यह सच है कि किसी भी रेल यात्री का रेल यात्रा के दौरान चोरी हुआ सामान यदि छह माह तक उसे वापस नहीं मिलता है तो वह रेलवे के विरुद्ध उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर सकता है। यह जागरूकता होना जरूरी है कि रेलवे स्टेशन पर या ट्रेन में अगर आपका कोई सामान चोरी हो जाता है तो आप रेलवे से चोरी हुए सामान के मुआवजे की मांग कर सकते हैं।
वैध टिकट होना जरूरी
प्लेटफार्म टिकट या फिर रेल यात्रा का वैध टिकट होने पर रेलवे स्टेशन या ट्रेन में सामान चोरी होने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट की विधिक व्यवस्था है कि अगर किसी यात्री का सामान रेलयात्रा के दौरान चोरी हो जाता है तो पीड़ित उपभोक्ता रेलवे पुलिस थाने में चोरी हुए सामान की शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके लिए यात्री को एक प्रारूप प्रपत्र भरकर देना होगा। अगर इस शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं होती और आपको आपका सामान भी नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में आप रेलवे से मुआवजा पाने के हकदार होंगे। शिकायत दर्ज होने के बाद रेलवे द्वारा आपके खोए हुए सामान की कीमत का आकलन किया जाएगा और मुआवजा दिया जाएगा।
ऑपरेशन अमानत
रेलवे पुलिस ने लोगों के खोए हुए सामान को प्राप्त करने के लिए ऑपरेशन अमानत नाम की एक मुहिम शुरू की है। इसके तहत रेलवे पुलिस किसी भी खोए हुए सामान के प्राप्त होने की स्थिति में उसे अपने पास सुरक्षित रख लेती है और फोटो रेलवे जोन की वेबसाइट पर शेयर करती है। इस साइट पर आप अपना सामान पहचान कर उसे वापस प्राप्त कर सकते हैं।
कीमत आकलन के बाद मुआवजा
रेल यात्रा के दौरान चोरी हुए सामान के लिए भारतीय रेलवे की ओर से चोरी हुए सामान की कीमत का आकलन करने के बाद यात्रियों को उसके बदले में मुआवजे का भुगतान किया जाता है। अगर यात्रा के दौरान सामान रेल से चोरी हो जाता है तो पहले ट्रेन कंडक्टर या कोच अटेंडेंट या ट्रेन गार्ड या जीआरपी एस्कॉर्ट से संपर्क कर चोरी हुए सामान की सूचना देनी चाहिए। रेल कर्मियों या फिर सुरक्षा कर्मियों द्वारा आपको प्राथमिकी फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा जिसे भरकर कार्रवाई के लिए थाने भेज दिया जाता है। शिकायत किसी स्टेशन पर उतरकर भी दे सकते हैं।
शुल्क देकर लगेज बुकिंग की शर्त
इसका फायदा सिर्फ उन्हीं रेल यात्रियों को मिलता है,जो रेलवे के लगेज में निर्धारित शुल्क देकर अपने सामान की बुकिंग करवाते हैं। बुक किए गए सामान को किसी तरह का नुकसान होने पर रेलवे यात्री को नियमानुसार मुआवजा देता है। चंडीगढ़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने एक फैसले में केंद्रीय रेल मंत्रालय के साथ-साथ उत्तर रेलवे को चंडीगढ़ निवासी एक उपभोक्ता को 50 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसे यात्रा के दौरान ट्रेन से सामान चोरी होने के कारण परेशानी उठानी पड़ी थी।
चोरी की शिकायत का मामला
एक उपभोक्ता ने 27 जुलाई, 2017 को चंडीगढ़ से शिरडी की यात्रा के लिए 2 एसी टिकट बुक किए थे। वह एक बैग लेकर चंडीगढ़ से ट्रेन में चढ़ी थीं। ट्रेन में देर रात वे सो गईं। फिर 28 जुलाई सुबह डिब्बे में से कई यात्रियों का सामान चोरी हो गया। उपभोक्ता का भी सामान गायब था, उन्होंने रेलवे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि ट्रेन से उनका सामान चोरी होने के कारण न केवल उन्हें अपने सामान और आवश्यक दवाओं का नुकसान हुआ, बल्कि वह समय से दवा न ले पाने के कारण विकलांग भी हो गईं। रेल मंत्रालय और डीआरएम, अंबाला डिवीजन ने जवाब में कहा कि कथित चोरी रेलवे की कमी के कारण नहीं बल्कि शिकायतकर्ता की लापरवाही से हुई।
आयोग का फैसला
आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि शिकायतकर्ता को रेलवे के दोषपूर्ण कार्य के कारण मानसिक पीड़ा और वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। आयोग ने रेल मंत्रालय और उत्तर रेलवे अधिकारियों को शिकायतकर्ता को हुए नुकसान की प्रतिपूर्ति 35 हजार रुपये का भुगतान करने निर्देश दिया। साथ मुआवजे और मुकदमा खर्च के रूप में अतिरिक्त 15000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने यात्री के पक्ष में दिए गए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को पलट दिया है जिस फैसले से रेल उपभोक्ताओं को झटका भी लगा है। लेकिन इसका प्रभाव रेलवे में बुक किए गए सामान के रास्ते में खो जाने पर दिए जाने वाले क्लेम पर नहीं पड़ेगा।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।