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Queen Padmavati Story : जब हजारों महिलाओं के साथ आग में कूद गई थीं रानी पद्मावती, जानिए कहानी इतिहास के सबसे बड़े जौहर की

02:27 PM Jan 24, 2025 IST
queen padmavati story   जब हजारों महिलाओं के साथ आग में कूद गई थीं रानी पद्मावती  जानिए कहानी इतिहास के सबसे बड़े जौहर की
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चंडीगढ़ , 24 जनवरी (ट्रिन्यू)

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Queen Padmavati Story : रानी पद्मावती, जिन्हें रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है, सिर्फ अपनी सुंदरता ही नहीं बल्कि जौहर करने के लिए भी जानी जाती है। रानी पद्मिनी के जौहर ने उन्हें राज्य के इतिहास में देवी जैसा दर्जा दिया है। चलिए आपको बताते हैं रानी पद्मावती से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो शायद ही किसी को पता हो।

रानी पद्मावती का नहीं मिलता कहीं उल्लेख

बहुत कम लो जानते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़गढ़ पर विजय के इतिहास में रानी पद्मावती का कोई उल्लेख नहीं है। रानी का पहला उल्लेख मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा अवधी भाषा में लिखे गए महाकाव्य ‘पद्मावत’ में किया गया है।

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बोलने वाले तोते से थी मित्रता

वह पूर्व श्रीलंका के सिंघल साम्राज्य के राजा की बेटी थी। ऐसा कहा जाता है कि एक बात करने वाले तोते के साथ उनकी घनिष्ठ मित्रता थी, जिससे उसके पिता नाराज थे इसलिए उन्होंने तोते को मारने का आदेश दे दिया। मगर, वह किसी तरह बच निकला और स्थानीय राजा रतन सेन के पास पहुंचने में कामयाब रहा। तोता रानी पद्मावती की सुंदरता की प्रशंसा करता था और इसलिए रतन सेन ने उससे शादी करने का फैसला किया।

युद्ध की रणनीतियों में माहिर

ऐसा भी कहा जाता है कि रानी पद्मिनी युद्ध की रणनीतियों और युद्धपोतों में अच्छी तरह से प्रशिक्षित थीं। वह तलवारबाजी की कला में निपुण थी। उन्होंने अपने स्वयंवर के दौरान यह शर्त रखी कि जोभी तलवार की लड़ाई में नामित योद्धा को हरा देगा, वह उन्हें जीत लेगा। हालांकि, नामित तलवारबाज खुद पद्मिनी थीं। कई राजकुमार और राजा उनसे हार गए लेकिन सिर्फ राजा रावल रतन सिंह ही उनसे जीत पाए, जिसके बाद रानी पद्मिनी ने उनसे विवाह कर लिया।

अलाउद्दीन से की चालाकी

राघव चेतन चित्तौड़ के शाही दरबार में एक कलाकार था, जिसने अपने उद्देश्यों के लिए कई लोगों को मार डाला था। जब रतन सेन ने को इस बात का पता चला तो उसने उसे राज्य से निर्वासित कर दिया। इससे वह अलाउद्दीन खिलजी के सामने पहुंचा और रानी पद्मिनी की प्रशंसा करने लगा। अलाउद्दीन ने चित्तौड़ राज्य की घेराबंदी कर दी और रानी को देखने की मांग की। मगर, रानी की चलाकी से वह पद्मिनी को केवल एक प्रतिबिंब में देख पाया क्योंकि उनका चेहरा किसी को भी देखने की अनुमति नहीं थी।

आग में कूदकर बचाया सम्मान

अलाउद्दीन ने धोखे से रतन सिंह को पकड़ लिया और किले पर हमला कर दिया। उसने शर्त रखी कि अगर रानी पद्मिनी उन्हें अपना चेहरा दिखा देंगे तो वह सबकुछ रोक देंगे। मगर, अपने सम्मान की रक्षा के लिए रानी पद्मावती ने जौहर करने का निर्णय लिया। वहीं, चित्तौड़ की अन्य महिलाओं ने भी उनके साथ जौहर की तैयारी कर ली। जैसे ही अलाउद्दीन की सेना चित्तौड़ महल के दरवाजे तक पहुंची। रानी व अन्य महिलाएं किले के भीतर एक गुप्त मार्ग से चली गईं, जो जौहर कुंड की ओर जाता था। पद्मिनी जौहर कुंड में कूदने वाली पहली महिला थीं और अन्य महिलाएं उनके पीछे-पीछे आईं।

कहा जाता है कि उनकी चीखें और विलाप इतना तेज था कि अलाउद्दीन ने उस मार्ग को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दे दिया था। चित्तौड़ के राजा द्वारा बहादुर महिलाओं के सम्मान में कई वर्षों के बाद ही इसे फिर से खोला गया था।

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