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ताजे पानी की रानी मीनिका

08:53 AM Jul 12, 2024 IST
ताजे पानी की रानी मीनिका
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मीनिका मछली अपने अंडों अथवा बच्चों की किसी प्रकार की कोई सुरक्षा नहीं करती। इनमें नर और मादा दोनों ही प्रजनन के बाद अंडों को छोड़कर चले जाते हैं और फिर अंडों के पास कभी नहीं लौटते।

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के.पी. सिंह

मीनिका ताजे पानी की शानदार मछली है। अंग्रेजी में इसे कॉमन मिनो कहते हैं। मीनिका मछली यूरोप के साथ ही साथ एशिया के अनेक भागों में भी पायी जाती है। यह साइबेरिया से लेकर बैकाल झील तक बहुत बड़ी संख्या में पायी जाती है। मीनिका मछली एक छोटी मछली है। इसकी लंबाई 10 सेंटीमीटर से लेकर 15 सेंटीमीटर तक होती है। इसकी पीठ तथा शरीर के ऊपर के भाग का रंग कत्थई, हरा, जैतूनी, ग्रे अथवा चांदी की तरह रूपहला ग्रे होता है और इस पर गहरे रंग के धब्बे अथवा पट्टे होते हैं। मीनिका मछली के मीनपंख भी इसके शरीर के रंगों के समान सुंदर और आकर्षक होते हैं।
मीनिका मछली का मुंह बड़ा होता है, किंतु इसके जबड़ों में दांत नहीं होते। इसकी गर्दन में दांत होते हैं। मीनिका मछली की गर्दन के दांत बहुत मजबूत होते हैं, किंतु इनकी शिकार अथवा भोजन में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होती। वास्तव में मीनिका मछली न तो तेज तैराक मछली है और न ही शिकारी मछली। यह ताजे पानी में पाए जाने वाले बहुत ही छोटे-छोटे जीवों का शिकार करती है। मीनिका मछली का प्रमुख भोजन ताजे पानी के पिस्सू हैं। इसके साथ ही यह विभिन्न प्रकार के कीड़े-मकोड़े, उनके लारवे तथा झींगा-झींगी (श्रिम्प) आदि को अपना आहार बनाती है।
मीनिका मछली के समागम काल में नर और मादा दोनों की शारीरिक संरचना में काफी परिवर्तन होता है। समागम काल में नर का पूरा शरीर काले रंग का हो जाता है तथा इसका मुंह, पेट और शरीर के मीनपंख सिंदूरी रंग के हो जाते हैं। मादा मीनिका मछली के शरीर के रंगों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता, किंतु यह अंडों से भरी होने के कारण कुछ मांसल और मोटी दिखाई देने लगती है। इन्हीं परिवर्तनों के आधार पर नर और मादा मीनिका को सरलता से अलग-अलग पहचाना जा सकता है।
मीनिका मछली का प्रजनन काल अप्रैल से आरंभ होता है और जून के अंत तक चलता है। प्रजनन काल में मीनिका मछली के झुंड के झुंड रेतीले कंकड़ पत्थर वाले तल पर अथवा जलीय पौधों के मध्य एकत्रित हो जाते हैं। इनमें बड़ी संख्या में नर और मादा दोनों ही रहते हैं। यहीं मादाएं अंडे देती हैं और नर उन पर शुक्राणु छिड़कता है। इससे इसके अंडों का निषेचन हो जाता है। मीनिका मछली अपने अंडों अथवा बच्चों की किसी प्रकार की कोई सुरक्षा नहीं करती। इनमें नर और मादा दोनों ही प्रजनन के बाद अंडों को छोड़कर चले जाते हैं और फिर अंडों के पास कभी नहीं लौटते।
मादा मीनिका मछली सामान्यतः एक बार में एक हजार अंडे देती है। इसके अंडों की संख्या से ऐसा लगता है कि इसके अंडों के शत्रु बहुत कम हैं। इसके अंडे न तो ताजे पानी के जीव खाते हैं और न ही ये विषम परिस्थितियों में नष्ट होते हैं। मीनिका मछली के अंडे चिपचिपे होते हैं। ये जलीय पौधों से चिपके रहते हैं अथवा पानी के तल के छोटे-छोटे पत्थरों से चिपक जाते हैं। पत्थरों से चिपके रहने के कारण न तो इनके बहने का खतरा रहता है और न ही इनके पास तक अंडे खाने वाले जीव जंतु पहुंच पाते हैं। मीनिका मछली के अंडे कुछ समय बाद परिपक्व होकर फूटते हैं और इनसे छोटे-छोटे लारवे निकल आते हैं। इसके नवजात लारवे जन्म लेने के कुछ समय बाद ही तैरना एवं भोजन करना आरंभ कर देते हैं। इससे इनके शरीर का तेजी से विकास होता है।
मीनिका मछली के बहुत से शत्रु हैं। इसे ताजे पानी के जीव तथा मांसाहारी मछलियां अपना शिकार बनाती हैं। इसके साथ ही नदियों के किनारे रहने वाले पक्षी विटर्न, किलकिला और बगुला आदि भी इस पर आक्रमण करते हैं और इसे अपना आहार बनाते हैं। मीनिका अपने प्राकृतिक शत्रुओं से तो बच जाती है, किंतु मानव से नहीं बच पाती। मानव इसका सबसे प्रबल शत्रु है। मीनिका मछली यूरोप की सर्वाधिक लोकप्रिय मछली है। मीनिका एक सीधी और सरल मछली है। इसे बड़ी आसानी से एक्वेरियम में रखा जा सकता है और पालतू बनाया जा सकता है। मीनिका एक्वेरियम मंे बड़ी शांति से रहती है और एक्वेरियम के अन्य जीवों से झगड़ा भी नहीं करती।

इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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