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पीयू सीनेट की लड़ाई में कूदीं पंजाब की सियासी पार्टियां

08:22 AM Nov 08, 2024 IST

जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 नवंबर
पंजाब विश्वविद्यालय ‘सीनेट बचाओ, पीयू बचाओ’ मुहिम में अब पंजाब की सियासी पार्टियां भी कूद पड़ी हैं। सत्थ और सोई के बैनर तले संघर्षरत छात्रों के बीच पहुंचे पंजाब के विभिन्न दलों के नेताओं ने छात्रों के साथ एकजुटता जाहिर की और उनके आंदोलन को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया। 31 अक्तूबर को सीनेट का कार्यकाल खत्म होने के बाद से चुनाव कराये जाने की मांग को लेकर 18 दिन से छात्र धरने पर बैठे हैं लेकिन पीयू प्रशासन की ओर से आज तक कोई भी उनसे मिलने तक नहीं आया। सीनेट चुनाव की मांग और पीयू पर पंजाब की दावेदारी को लेकर आज शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पंजाब विश्वविद्यालय में जुटे। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, दलजीत सिंह चीमा सहित कई छोटे-बड़े नेता पहुंचे और इसी तरह से कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व विधायक कुलजीत नागरा, पूर्व विधायक दलबीर गोल्डी, सुखपाल सिंह खैरा, परगट सिंह, बरिंदर ढिल्लों, कुशलपाल सिंह, किक्की ढिल्लों, प्रो. प्यारे लाल गर्ग, दीपक मनमोहन सिंह, सीनेटर विक्की गिल, एसएस संघा, आईपीएस सिद्धू, रविंदर बिल्ला, संदीप सीकरी, सिमरनजीत सिंह ढिल्लों भी धरनास्थल पर पहुंचे और छात्रों, फैकल्टी व सीनेटरों को भरोसा दिलाया कि आंदोलन में वे उनके साथ हैं, लेकिन लड़ाई छात्रों को ही लड़नी होगी। दलबीर गोल्डी ने कहा कि पीयू प्रशासन ने उन्हें गोल्डन जुबली हाल में प्रेस मीट तक नहीं करने दी। उसके बाद उन्होंने मेन गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत का कार्यक्रम बनाया तो वहां पर गेट को ही ताला लगवा दिया।
इससे पूर्व अकाली नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के हकों पर डाका डाल रही है। बीबीएमबी में हिस्सेदारी का सवाल हो या फिर चंडीगढ़ पर दावेदारी का मसला हो, हर मसले पर पंजाब को नीचा दिखाया जा रहा है। विधानसभा के लिये हरियाणा काे जगह दी जा रही है। इससे तो चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इस साल पहली बार चंडीगढ़ दिवस मनाया गया जिससे ध्वनित होता है कि यह केंद्र के पास चली गयी। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केंद्र एमएसपी देने से बचने के लिये धान और गेहूं की बेकद्री कर रही है और किसानों को डीएपी नहीं दे रही है। उधर पंजाब के सीएम भगवंत मान चंडीगढ़ में हरियाणा की तरह विधानसभा और हाईकोर्ट के लिये अलग से जमीन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे पीयू सीनेट खत्म कर इसके स्थान पर बोर्ड आफ डारेक्टयर लगाने का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि डीप स्टेट और एजेंसियों की मार दूर तक है। कृषि कानून केंद्र का वापस लेने पड़े थे इसी तरह इसे भी वापस लेना पड़ेगा।
अकाली नेता दलजीत चीमा ने कहा कि किसी बड़ी साजिश के तहत पीयू का केंद्रीयकरण किया जा रहा है। पंजाब के साथ पहले ही अन्याय हुआ है, उस पर मरहम लगाने की बजाय उन्हें कुरेदा जा रहा है। उन्होंने पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत बने एसजीपीसी का मसला भी उठाया और हरियाणा का अलग कमेटी बनाये जाने का विरोध किया। साथ ही कहा कि एक्ट में संशोधन के बिना यह सब कैसे किया जा सकता है। पीयू का दर्जा इंटरस्टेट कारपोरेट बॉडी का है, इसे बरकरार रखा जाना चाहिए।

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आंदोलन केवल छात्रों पर नहीं छोड़ सकते : नागरा

कुलजीत नागरा ने कहा कि आंदोलन केवल छात्रों पर नहीं छोड़ सकते राजनीति दलों को भी सक्रिय हिस्सेदारी करनी होगी। प्यारे लाल गर्ग ने कहा कि केंद्र के तत्कालीन मंत्री ने सीनेट में बोल दिया था कि धारा 370 की तरह सीनेट को भी उड़ाया जा सकता है, जो आज सच होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट, फैकल्टी और सीनेटरों को मिलकर लंबी लड़ाई लड़नी होगी। सुखपाल खैहरा ने कहा कि यह पीयू की ऑटोनॉमी पर हमला है। सीनेट के चुनाव न कराया जाना पंजाब के हुकूक छीनने जैसा है। पंजाब से पानी छीन लिया, राजधानी ले ली और हिंदी भाषी इलाके ले लिये, अब पीयू छीनने की बारी है। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि 25 नवंबर से विधानसभा का सत्र है, इस पर कोई रेजूलेशन लाया जा सकता है और इसी के साथ प्रदेश के सभी 13 सांसद व छह राज्यसभा सदस्य चांसलर एवं उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर सकते हैं और ऐसे कोई कदम न उठाये जाने की गुहार लगा सकते हैं। अगर इस सब से भी बात नहीं बनी तो फिर आरपार की लड़ाई लड़ेंगे।

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