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पंजाबी संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और बेहतरीन संस्कृतियों में से एक

06:23 AM Dec 11, 2024 IST
पटियाला में मंगलवार को पंजाबी यूनिवर्सिटी में पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां व अन्य मेहमान अंतर्राष्ट्रीय पंजाबी विकास सम्मेलन में उपस्थित रहे। -निस

संगरूर, 10 दिसंबर (निस)
पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि पंजाबीयत खुलेपन का नाम है और यह किसी आधार पर बांटने का नाम नहीं है। इस कारण पंजाबीयत की इस व्यापक अवधारणा को इतिहास की कृतियों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करना हमारा कर्तव्य है। पंजाबी विश्वविद्यालय में 36वें अंतर्राष्ट्रीय पंजाबी विकास सम्मेलन के उद्घाटन पर संधवां ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि पंजाबी संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और बेहतरीन संस्कृतियों में से एक है। ‘पंजाबी समाज की ऐतिहासिक परंपरा: समकालीन प्रासंगिकता’ विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन के संदर्भ में उन्होंने पंजाबियत की अवधारणा पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पहले भी पंजाबीयत को बांटने की कोशिशें हुईं और पंजाब के कई हिस्से बांटे गए, लेकिन इसके बावजूद पंजाबियों का आपस में गहरा रिश्ता बना रहा। उन्होंने कहा कि पंजाबी आज भी अपना अलग और अनोखा रुतबा कायम रखे हुए है। पाकिस्तानी पंजाब के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाबीयत एक ऐसी संस्कृति है जो सभी पारंपरिक रीति-रिवाजों से ऊपर है। विश्वविद्यालय के पंजाबी भाषा विकास विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में डीन अकादमिक मामले प्रो. नरिंदर कौर मुल्तानी ने कहा कि पंजाबी विश्वविद्यालय की स्थापना पंजाबी भाषा को विकसित करने के उद्देश्य से की गई है, विश्वविद्यालय का पंजाबी भाषा विकास विभाग उस उद्देश्य को पूरा करने में बहुत सराहनीय भूमिका निभा रहा है।
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से प्रो. राजेश गिल ने मुख्य भाषण के दौरान पंजाबी समाज की पहचान और वर्तमान में इसमें हो रहे बदलावों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पंजाबी समाज ने हमेशा सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी बुराइयों को खारिज किया है लेकिन दुर्भाग्य से आज हमारे समाज में कई बुराइयां पैदा हो गई हैं जिनके बारे में चिंतित होने की जरूरत है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के गुरु नानक सिख अध्ययन विभाग की पूर्व प्रोफेसर जसपाल कौर कंग और भाषा विभाग, पटियाला के निदेशक जसवंत जफर ने भी अपने विचार साझा किए। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 6 अकादमिक बैठकें, 6 समानांतर अकादमिक बैठकें, 3 विशेष बैठकें और ‘स्प्राउटिंग पेन’ की एक विशेष बैठक का भी आयोजन किया जाएगा।

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