Punjab News : 5 महीने बाद पद पर वापस लौटे सुखबीर सिंह बादल, तनखैया घोषित होने के बाद दिया था पार्टी से इस्तीफा
अमृतसर, 12 अप्रैल (भाषा)
Punjab News : पंजाब के अमृतसर में शनिवार को आयोजित की गई शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रतिनिधियों की बैठक में सुखबीर सिंह बादल को फिर से पार्टी अध्यक्ष चुना गया और इसके साथ ही उन्होंने पार्टी की कमान भी संभाल ली। उनकी पार्टी लगातार हार और घटते मतप्रतिशत के कारण संघर्ष कर रही है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री को पहली बार 2008 में पार्टी अध्यक्ष चुना गया था। उस समय इस पद पर आसीन होने वाले वह सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। चार माह पहले शिअद और उसकी सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ‘‘गलतियों'' के लिए अकाल तख्त द्वारा बादल को ‘तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किए जाने के बाद उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अब अमृतसर में संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक में बादल को फिर से पार्टी अध्यक्ष चुना गया।
पिछले साल दिसंबर में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पश्चाताप के दौरान एक पूर्व खालिस्तानी आतंकवादी ने बादल पर गोली चला दी थी जिसमें वह बाल-बाल बच गए। पार्टी के निर्वाचन अधिकारी गुलजार सिंह रणिके द्वारा नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा किए जाने के बाद बादल ने कहा, ‘‘मुझे यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए मैं सभी का धन्यवाद करता हूं। मैं लोगों से वादा करता हूं कि पंजाब को फिर से शीर्ष राज्य बनाया जाएगा।''
पार्टी के दिवंगत संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के बेटे बादल, शिअद अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे। संगठन में असंतोष के बीच पार्टी को फिर से खड़ा करना बादल के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बैठक यहां श्री दरबार साहिब परिसर में तेजा सिंह समुंदरी हॉल में आयोजित की गई। बादल के नाम का प्रस्ताव पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने रखा, जबकि पार्टी नेता परमजीत सिंह सरना ने इसका समर्थन किया।
बादल की पत्नी एवं बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल, पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, दलजीत सिंह चीमा, वरिष्ठ नेता महेश इंदर सिंह ग्रेवाल सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बादल के अध्यक्ष चुने जाने के बाद, शिअद ने उन्हें ‘‘विकास पुरुष'' बताते हुए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। बादल ने पिछले साल 16 नवंबर पार्टी अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया था, जब उन्हें 2007 से 2017 तक शिअद और उसकी सरकार द्वारा की गई ‘‘गलतियों'' के लिए अकाल तख्त द्वारा ‘तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया गया था।
इस साल जनवरी में, पार्टी की कार्यसमिति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। बाद में, शिअद ने नया सदस्यता अभियान शुरू किया। प्रेम सिंह चंदूमाजरा, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष जागीर कौर और अन्य नेताओं सहित पार्टी के बागी नेताओं द्वारा एक जुलाई 2024 को अकाल तख्त का रुख करने और 2007 से 2017 के बीच शिरोमणि अकाली दल की सरकार के कार्यकाल में की गईं चार ‘‘गलतियों'' के लिए माफी मांगने के बाद बादल को ‘तनखैया' घोषित किया गया था।
अकाल तख्त ने पिछले साल दो दिसंबर को इस मामले में सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेताओं को धार्मिक सजा सुनाई थी। सिखों की शीर्ष संस्था ने शिरोमणि अकाली दल को पार्टी अध्यक्ष के पद से सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करने के अलावा छह माह के भीतर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पदाधिकारियों के पद के लिए चुनाव कराने के वास्ते एक समिति बनाने का निर्देश दिया था। बाद में, बादल और अन्य वरिष्ठ नेताओं को धार्मिक सजा दी गई।
पार्टी को 2022 में पंजाब में सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा, जब वह 117 में से केवल तीन सीट जीत पाई, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) पहली बार राज्य में सत्ता में आई। बादल के नेतृत्व वाली शिअद को 2024 के लोकसभा चुनावों में एक और हार का सामना करना पड़ा। पार्टी पंजाब की कुल 13 लोकसभा सीट में से केवल बठिंडा संसदीय क्षेत्र जीतने में सफल रही। शिअद का मतप्रतिशत 2019 के 27.45 फीसदी की तुलना में 2024 के चुनाव में 13.42 फीसदी रह गया।