Punjab Colonel Assault Case : हाई कोर्ट का कड़ा रुख, FIR में देरी क्यों... पंजाब सरकार से दो दिन में मांगा जवाब
चंडीगढ़, 25 मार्च (भाषा)
Punjab Colonel Assault Case : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सेना के कर्नल से मारपीट मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी को लेकर पंजाब सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए उसे 28 मार्च तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का मंगलवार को निर्देश दिया। कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ ने सोमवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का अनुरोध किया।
कर्नल सिंह ने पार्किंग विवाद को लेकर पंजाब पुलिस के 12 कर्मियों पर उन पर और उनके बेटे के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस के तहत निष्पक्ष जांच असंभव है। मंगलवार को अदालत में सुनवाई के बाद कर्नल बाथ की ओर से पेश वकीलों में से एक दीपिंदर सिंह विर्क ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पंजाब राज्य को शुक्रवार तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ खास बिंदु हैं, जिन पर जवाब मांगा गया है। इनमें घटना के समय मौके पर मौजूद सभी अधिकारी शामिल हैं। कर्नल के परिवार ने घटना होते ही सूचना दे दी थी। सबसे पहले किस अधिकारी को सूचना दी गई और उन्होंने प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का विकल्प क्यों चुना।'' विर्क ने अदालत की सुनवाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘कर्नल के परिवार ने पटियाला के एसएसपी से भी संपर्क किया और पूछा कि मामले में आठ दिन की देरी क्यों की गई और प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई।''
उन्होंने कहा, ‘‘यह दावा किया गया है कि पुलिस अधिकारी भी घायल हुए थे और अगर उन्होंने शिकायत की थी, तो प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई।'' विर्क ने कहा कि घटना को दर्ज करने वाला एक वीडियो भी रिकॉर्ड में रखा गया है। कर्नल बाथ ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उन पर और उनके बेटे पर 13 और 14 मार्च की दरमियानी रात को पटियाला में "क्रूरतापूर्वक" हमला किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावरों - पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों और उनके सशस्त्र अधीनस्थों - ने बिना किसी उकसावे के उन दोनों पर हमला किया, उनका आईडी कार्ड और मोबाइल फोन छीन लिया और उन्हें "फर्जी मुठभेड़" की धमकी दी - यह सब सार्वजनिक रूप से और सीसीटीवी कैमरे की कवरेज के तहत किया गया।
याचिका में कहा गया है, ‘‘अपराध की गंभीरता के बावजूद, स्थानीय पुलिस कार्रवाई करने में विफल रही। वरिष्ठ अधिकारियों को की गई कॉल को नजरअंदाज कर दिया गया और याचिकाकर्ता के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय, एक गैर संबद्ध तीसरे पक्ष की शिकायत पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ 'झगड़े' से संबंधित एक फर्जी प्राथमिकी दर्ज की गई।'' इसमें यह भी दावा किया गया कि बाथ के परिवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और पंजाब के राज्यपाल से संपर्क करना पड़ा, तब जाकर आठ दिनों के बाद "उचित अनुवर्ती प्राथमिकी" दर्ज की गई।
उन्होंने कहा, ‘‘...स्पष्ट रूप से हितों के टकराव, देरी, हेरफेर और पक्षपात को देखते हुए, पंजाब पुलिस के तहत निष्पक्ष जांच असंभव है...।'' याचिका में जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का अनुरोध किया गया है, ताकि ‘‘न्याय की विफलता को रोका जा सके, जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और कानून के शासन में जनता का विश्वास बहाल किया जा सके।''
कर्नल बाथ के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे अपनी कार हटाने के लिए कहा, ताकि वे अपनी कार खड़ी कर सकें। कर्नल बाथ के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि जब कर्नल ने उनके लहजे पर आपत्ति जतायी, तो उन्होंने उन्हें और उनके बेटे को पीटा। कर्नल बाथ के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि कर्नल का हाथ टूट गया, जबकि उनके बेटे के सिर पर चोट आई।
पंजाब पुलिस ने 21 मार्च को कर्नल बाथ के बयान के आधार पर एक नयी प्राथमिकी दर्ज की। मामले में अब जांच की जिम्मेदारी विशेष जांच दल (एसआईटी) के पास है। पंजाब पुलिस ने पहले कहा था कि सभी 12 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है। सेना के अधिकारी के परिवार के सदस्यों ने पटियाला में अपना धरना तब खत्म कर दिया, जब अधिकारियों ने उन्हें बताया कि मुख्यमंत्री 31 मार्च को एक बैठक में उनकी शिकायत सुनेंगे। कर्नल बाथ के परिवार के सदस्य कई पूर्व सैन्यकर्मियों के साथ मिलकर 22 मार्च से पटियाला के उपायुक्त के कार्यालय के बाहर धरना दे रहे थे। कर्नल बाथ की पत्नी जसविंदर कौर ने पटियाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नानक सिंह के तबादले की मांग की है।