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गुरुद्वारा कानून में संशोधन को पंजाब कैबिनेट की मंजूरी

11:36 AM Jun 20, 2023 IST
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राजीव तनेजा/निस

मोहाली /चंडीगढ़, 19 जून

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मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में सोमवार को चंडीगढ़ में हुई पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक में सिख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। इस संशोधन के जरिये स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी के प्रसारण के अधिकार सभी टीवी चैनलों को मुफ्त मुहैया कराये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री मान ने बैठक के बाद बताया कि मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में इस संशोधन के लिए विधेयक लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस अधिनियम में संशोधन और इसमें धारा 125-ए शामिल करने को मंजूरी दी है, जिसके जरिये दरबार साहिब से गुरबाणी का मुफ्त प्रसारण सुनिश्चित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 के अंतर्गत गठित की गई थी। लेकिन इस एक्ट में ब्रॉडकास्ट या लाइव टेलीकास्ट का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कमेटी पर केवल एक परिवार का ही कब्जा रहा है और केवल एक टीवी चैनल को प्रसारण के अधिकार दिए गए हैं। मान ने कहा कि साल 2012 में 11 साल के लिए सचखंड श्री हरमंदिर साहिब से गुरबाणी के प्रसारण के अधिकार खरीदे गए। इस कारण लोगों को गुरबाणी संबंधित विशेष चैनल लगवाने को मजबूर किया गया। मान ने कहा कि न तो वह गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन कर रहे हैं, न ही प्रसारण संबंधी अधिकार किसी सरकारी पक्ष को दिला रहे हैं, न ही उनके किसी रिश्तेदार का टीवी चैनल है। उन्होंने कहा कि वह गुरबाणी के प्रचार-प्रसार के लिए खुले अवसर देने के हकदार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल के एकाधिकार वाले टीवी चैनल को भी अन्य चैनलों की तरह मुफ्त प्रसारण की सुविधा दी जाएगी।

मान ने कहा कि बादलों के चैनल के साथ एग्रीमेंट जुलाई, 2023 में खत्म हो रहा है, यदि पंजाब सरकार ने अब बदलाव नहीं किया तो गुरबारणी प्रसारण को दोबारा 11 साल के लिए गिरवी रख दिया जाएगा।

मंत्रिमंडल के अन्य अहम फैसले

विधानसभा को संशोधन का अधिकार नहीं : विशेषज्ञ

नयी दिल्ली (ट्रिन्यू) : पंजाब मंत्रिमंडल ने सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 में संशोधन के लिए भले हरी झंडी दे दी है, लेकिन कानून के विशेषज्ञाें का कहना है कि पंजाब विधानसभा को इस एक्ट में संशोधन का कोई अधिकार नहीं है। वरिष्ठ वकील एचएस फूलका ने कहा, ‘पंजाब विधानसभा और सरकार को संविधान के तहत सिख गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है। पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 इस बारे में स्पष्ट है। इस एक्ट की धारा 72 के तहत सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 ‘अंतरराज्यीय संस्था संगठित’ की परिभाषा के तहत आता है।’ फूलका ने कहा कि हरियाणा सरकार ने 2014 में हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) एक्ट पास किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि फैसला दिया था कि हरियाणा को अपने अधिकार क्षेत्र में सिखों के लिए संस्था गठित करने का अधिकार है। फूलका ने कहा, ‘पर इसका यह मतलब नहीं कि हरियाणा ने सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 में संशोधन किया है। उन्होंने अपना कानून बनाया। पंजाब का भी अपना कानून हो सकता है, लेकिन वह एक्ट में संशोधन नहीं कर सकता।’ उधर, बुद्धिजीवी गुरदर्शन सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिरोमणि कमेटी चुनावों में सहजधारी सिखों के वोट के अधिकार से जुड़े मामले में स्पष्ट कर दिया था कि सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 के बारे में कोई कार्यकारी आदेश पारित नहीं किया जा सकता। जरूरत पड़ने पर संसद को ही संशोधन का अधिकार है।

एसजीपीसी का दावा- राज्य नहीं केंद्र सरकार के पास हैं अधिकार

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एचएस धामी ने कहा कि पंजाब सरकार के पास गुरुद्वारा एक्ट में बदलाव करने व संशोधन का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इसका अधिकार केंद्र सरकार के पास है। उन्होंने मुख्यमंत्री मान पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह केवल लोगों को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पंजाब सरकार ने कई कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया है।

बिना विज्ञापन प्रसारण मान ने कहा कि जो भी चैनल रोजाना गुरबाणी का प्रसार करेगा, वह प्रसारण के दौरान विज्ञापन नहीं देगा। प्रसारण से आधा घंटा पहले और बाद में भी विज्ञापन नहीं दिखाया जाएगा।

राज्यपाल की जगह सीएम होंगे चांसलर!

चंडीगढ़ (चरनजीत भुल्लर) : राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर के तौर पर राज्यपाल की भूमिका खत्म करने के लिए पंजाब सरकार मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में अहम विधेयक लाने जा रही है। पंजाब सरकार इस विधेयक के जरिये चांसलर का पद राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को सौंपना चाहती है। पश्चिम बंगाल सरकार की तर्ज पर सरकार का यह कदम राज्यपाल बनवारी लाल पुराेहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच चल रहे टकराव को बढ़ा सकता है। गौर हो कि राज्यपाल ने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के वीसी के तौर पर डॉ. गुरप्रीत वांडर की नियुक्ति रद्द कर दी थी। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वीसी को हटाने को भी कहा था।

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