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विधानसभा की लोक लेखा समिति का कैग रिपोर्ट पर कड़ा नोटिस

10:10 AM Nov 26, 2024 IST
नयी दिल्ली में सोमवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनके साथ कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई।

चंडीगढ़, 25 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग की खामियों पर नायब सरकार ने कड़ा नोटिस लिया है। कैग की विधानसभा के हालिया शीतकालीन सत्र में टेबल हुई रिपोर्ट में विभाग में बड़ी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। डॉक्टरों व पैरा-मेडिकल स्टाफ की कमी के अलावा ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से दवाइयों की खरीद करने, एंबुलेंस में घोटाला करने सहित कई मामलों को कैग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में उजागर किया है।
कैग की रिपोर्ट विधानसभा की लोक लेखा समिति के पास पहुंच गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कैग द्वारा इस रिपोर्ट को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को तलब भी कर सकती है। इससे पहले सरकार के निर्देशों पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के महानिदेशक से विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है। डीजी हेल्थ को कैग द्वारा उठाए गए सवालों के बिंदुवार जवाब देने होंगे।

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बजट कमेटी ने जारी किए आदेश

फाइनेंस सेक्रेटरी की अध्यक्षता वाली बजट कमेटी ने इस संदर्भ में सोमवार को आदेश जारी किए। कमेटी ने डीजी हेल्थ को कहा है कि नोडल अधिकारियों तथा विभागध्यक्ष की अगुवाई में गठित मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक कर सभी सवालों का जवाब 13 फरवरी तक भिजवाना सुनिश्चित करें। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 13 नवंबर को कैग रिपोर्ट टेबल हुई थी। इस रिपोर्ट पर प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस द्वारा विधानसभा में सरकार को घेरा भी जा चुका है।

रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं नहीं बेहतर

रिपोर्ट के हिसाब से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। न केवल डाक्टरों की कमी है बल्कि अस्पतालों में जरूरी उपकरणों, आवश्यक सुविधाओं और दवाइयों का अभाव है।
दवाइयों की खरीद और समय से अस्पतालों में उनकी डिलीवरी के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं किया। इसकी शिकायत की गई है कि ब्लैक लिस्टेड कंपनी से भी दवाइयों की आपूर्ति करा दी गई। जनस्वास्थ्य

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मानकों का सही ढंग से अनुपालन नहीं हुआ।

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर 6.37 प्रतिशत बजट ही खर्च किया जा सका। राष्ट्रीय औसत आठ प्रतिशत का निर्धारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य संस्थानों में निदेशक व अधीक्षकों के पद कई साल तक खाली चलते रहे हैं। दवाइयों की समुचित आपूर्ति के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। दवाइयों की मांग, आपूर्ति और जरूरत के बीच समन्वय स्थापित करने का अभाव साफ नजर आया है। स्वास्थ्य महानिदेशक को कैग रिपोर्ट में उठाए गए सभी सवालों का जवाब तीन महीने में देना होगा।

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