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रिसर्च स्कॉलरों के लिए पीयू ने खोला आर्काइवल सेल

08:02 AM Oct 10, 2024 IST

चंडीगढ़, 9 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
पंजाब यूनिवर्सिटी ने एसी जोशी लाइब्रेरी में पीयू फैकल्टी और इसके रिसर्च स्कॉलरों के लिए अपना आर्काइवल सेल खोला है। पीयू की कुलपति प्रो. रेनू विग ने आज लाइब्रेरी के ग्राउंड फ्लौर पर फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स को समर्पित रीडिंग हॉल और बुक-स्कैनर का उद्घाटन किया। इसके साथ ही पीयू के फैकल्टी मेंबर्स और सिरर्च स्कॉलर्स की ‘पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों, मानचित्रों, ऐतिहासिक गजेटियर, ऐतिहासिक तस्वीरों और सरकारी रिपोर्टों आदि का उपयोग करने के लिए एक अलग स्थान’ की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा कर दिया है। पीयू लाइब्रेरी में 1500 पांडुलिपियां, 40 हजार दुर्लभ किताबें, महत्वपूर्ण समाचार पत्र संग्रह (1952 से), नक्शे, ऐतिहासिक गजेटियर, ऐतिहासिक तस्वीरें और सरकारी रिपोर्ट आदि हैं। ये विशेष रूप से मानविकी, कला, सामाजिक विज्ञान, शिक्षा, अंतर-धार्मिक अध्ययन के साथ-साथ भाषाई अनुसंधान के लिए प्राथमिक स्रोत हैं। इन दुर्लभ अभिलेखीय दस्तावेज़ों को डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों में परिवर्तित करने के लिए एक उच्च-स्तरीय बुक-स्कैनर भी स्थापित किया गया है जो एक हाथ से एक ही दस्तावेज़ तक एकाधिक पहुंच की सुविधा प्रदान कर सकता है और मूल पांडुलिपि/दुर्लभ पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों को होने वाले नुकसान को कम कर सकता है। पिछले साल, यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने सेल का दौरा किया। सेल के दौरे के दौरान एनएएसी टीम ने भी इन संग्रहों को अमूल्य पाया।
इससे पहले कुलपति प्रो. रेनू विग ने अभिलेखीय कक्ष में संरक्षित किए जा रहे इतिहास और संबंधित दस्तावेजों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के संकाय और अनुसंधान विद्वानों, विदेशी विद्वानों और अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के विद्वानों को पर्याप्त स्थान प्रदान करने की आवश्यकता भी महसूस की थी। इसलिए, पहले चरण में लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने की सुविधा के साथ लगभग 50 संकाय सदस्यों और अनुसंधान विद्वानों की बैठने की क्षमता बनाई गई है।
पुरालेख कक्ष के प्रभारी डॉ. मृत्युंजय कुमार ने सभी स्टाफ सदस्यों की ओर से पीयू कुलपति को परियोजना में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह नई सुविधा अभिलेखीय सेल के दस्तावेजीकरण के आधार पर उनके इच्छित शोध के लिए बहुत मददगार होगी।
इस मौके पर प्रो. सविता भटनागर, निदेशक, आरडीसी एवं यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन, प्रो. हर्ष नैयर, पूर्व निदेशक, आरडीसी, प्रो. वाई.पी. वर्मा, रजिस्ट्रार और पूटा अध्यक्ष प्रो. अमरजीत सिंह नौरा, फैकल्टी सदस्य और रिसर्च स्कॉलर भी उपस्थित थे।

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