कामयाबी की राह दिखाती कहावतें
पुस्तक समीक्षा
सत्यवीर नाहड़िया
पुस्तक : कहावतों से कामयाबी की ओर लेखक : अजय सिंघल प्रकाशक : डायमंड बुक्स नयी दिल्ली पृष्ठ : 152 मूल्य : रु. 200.
कहावतों का हमारे जीवन में सदा से निर्णायक महत्व रहा है। पीढ़ियों के ज्ञान का निचोड़ कहे जाने वाली कहावतें जीवन के हर सुख-दुख तथा संघर्ष-पथ में दिशाबोध करती रही हैं। यही कारण है कि हर कोई कहावतों को पूरा मान देता रहा है। कामयाबी की हर यात्रा में भी कहावतें हमें प्रेरित एवं प्रोत्साहित करती हैं।
आलोच्य कृति ‘कहावतों से कामयाबी की ओर’ कहावतों की इसी समृद्ध भावभूमि पर टिकी है, जिसमें लेखक अजय सिंघल द्वारा बीस अध्यायों के अंतर्गत विभिन्न कहावतों के माध्यम से सफलता के सूत्र बड़ी सहजता से समझाए गए हैं।
‘पहला सुख-निरोगी काया’ नामक अध्याय में जहां निरोगी शरीर के महत्व को रेखांकित किया गया है, वहीं ‘पहले तोलो फिर बोलो’ नामक अध्याय के अंतर्गत बोलने से पहले विचारने तथा शब्द के बोधक व भेदक होने को चरितार्थ किया गया है। ‘नेकी कर दरिया में डाल’ नामक अध्याय के अंतर्गत अनेक प्रेरक प्रसंग प्रभावी बन पड़े हैं। संग्रह में अनेक लोक कहावतों को भी प्रमुखता दी गई है, जिसमें ‘महंगा रोए एक बार-सस्ता रोए बार-बार’ जैसे कई अध्यायों की कहानियां सफलता के सूत्र बताने में सफल रही हैं।
संग्रह के सभी अध्यायों में शीर्षकानुरूप चित्रांकन, महापुरुषों के चर्चित कथन, प्रासंगिक उदाहरण तथा प्रेरक प्रसंग बेहद भावपूर्ण बन पड़े हैं। लेखक ने सभी अध्यायों में प्रासंगिक प्रेरक कहानियां को शामिल किया है। संग्रह में शताधिक बार नहीं को नही लिखने जैसी अनेक वर्तनी की अशुद्धियां भी अखरती हैं।
कुल मिलाकर युवाओं को केंद्र में रखकर लिखे गए विभिन्न अध्यायों में कहावतों से कामयाबी के मार्ग प्रशस्त होते दिखाई देते हैं। कृति का आवरण बेहद कलात्मक तथा छपाई सुंदर है। युवा वर्ग के लिए यह कृति प्रेरक कही जा सकती है।