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सदाचार से समृद्धि

06:58 AM Sep 30, 2024 IST

पुराणों के अनुसार, महालक्ष्मी सदाचारी, पुरुषार्थी और सत्यवादी आदि गुणों से युक्त व्यक्ति के यहां ही निवास करती हैं। जो व्यक्ति निराशा और हताशा त्यागकर निरंतर धर्मानुसार जीवन जीता हुआ पुरुषार्थ करता है, वह सहज ही देवी लक्ष्मी की कृपा का अधिकारी बन जाता है। एक बार देवी रुक्मिणी ने लक्ष्मीजी से पूछा, ‘देवी, आप किन-किन स्थानों में रहती हैं तथा किन्हें कृपा कर अनुगृहीत करती है?’ लक्ष्मीजी ने बताया, ‘मैं उन सद‌्गृहस्थों के घरों में सतत निवास करती हूं, जो जितेंद्रिय (सदाचारी), कर्तव्यपरायण, कृतज्ञ और विनम्र होते हैं। वृद्धों और गुरुजनों की सेवा में रत रहने वाले लोग मुझे बहुत प्रिय हैं। इसी तरह, जो महिलाएं शीलवती, गुणवती और सबका मंगल चाहने वाली होती हैं, उनका संग मुझे बहुत भाता है। ‘भगवती लक्ष्मी ने बताया, ‘जो अकर्मण्य, आलसी, दुराचारी, क्रूर कृतघ्न, वृद्धों और गुरुजनों से बैर रखनेवाले हैं, मैं उनके पास रहना पसंद नहीं करती। इसी प्रकार, जो महिलाएं गृहस्थी के पालन-पोषण की चिंता नहीं करती, लज्जाहीन, अधीर, झगड़ालू और आलसी होती हैं ऐसी स्त्रियों का घर छोड़कर में चली जाती है।’ प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

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