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गुरुग्राम में तीन कंपनियों की 1128 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच

07:05 AM Aug 30, 2024 IST
गुरुग्राम में तीन कंपनियों की 1128 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 29 अगस्त
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को हरियाणा में तीन बड़ी कंपनियों की 1128 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी अटैच की है। बिल्डर लॉबी के खिलाफ यह कार्रवाई विधानसभा चुनावों के बीच हुई है। इन कंपनियों में एम्मार, एमजीएफ और सन स्टार ओवरसीज शामिल हैं। इस संदर्भ में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, तत्कालीन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक रहे टीसी गुप्ता सहित 14 कालोनाइजर व कंपनियों से जुड़े लोगों पर एफआईआर दर्ज की है।
ईडी ने ईएमएएआर (एम्मार) इंडिया लि. की 501.13 करोड़ तथा एमजीएफ डेवलपमेंट्स लि. की 332.69 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। इन दोनों कंपनियों ने 834.03 करोड़ रुपये कीमत की 401.65 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से अटैच किया है। यह जमीन हरियाणा के गुरुग्राम और दिल्ली के आसपास 20 से अधिक गांवों में बताई जाती है। वहीं सन स्टार ओवरसीज की 294.19 करोड़ रुपये की प्रापर्टी को अटैच हुई है।
सोनीपत, अमृतसर और गुरुग्राम में 210.6 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली 72 एकड़ जमीन तथा इमारत (कृषि भूमि सहित) इसमें शामिल है। दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 77 करोड़ रुपये मूल्य के दो आवासीय मकान, करनाल में 1.54 करोड़ रुपये की कीमत के चार फ्लैट, 1.27 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस और 3.78 करोड़ रुपये मूल्य का बैंक बैलेंस भी अटैच किया है।
सीबीआई द्वारा दर्ज केस के आधार पर ही ईडी कार्रवाई कर रही है। सूत्रों का कहना है कि एम्मार और एमजीएफ के विरुद्ध मनी लांड्रिंग से जुड़े एक केस में जांच हो रही है। 18 नवंबर, 2010 को गुरुग्राम के सेक्टर-65 और 66 में एक आवासीय कालोनी विकसित करने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) विभाग से लाइसेंस लिया था।
आरोप हैं कि उस समय कांग्रेस सरकार की ओर से किसानों की जमीन अधिग्रहण करने के लिए नोटिस जारी किए गए। इसी दौरान प्राइवेट बिल्डरों ने किसानों से एग्रीमेंट करके जमीन खरीद ली। किसानों ने अधिग्रहण के डर में जमीन औने-पौने दामों में बेच दी। बाद में सरकार ने इस जमीन को अधिग्रहण से बाहर कर दिया। ईडी की जांच में अभी तक पता चला है कि इन दोनों कंपनियों ने धोखाधड़ी और बेईमानी से अधिसूचित भूमि पर आशय पत्र (एलओआई) या लाइसेंस प्राप्त किए। इससे संबंधित भूमि मालिकों, बड़े पैमाने पर किसानों और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को काफी नुकसान हुआ।

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