घी, तेल और बाती का हो सही प्रयोग
डॉ. मनोज मुरारका
दिवाली के मौके पर दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शांति व समृद्धि आती है। ऐसे में यह ध्यान देना बहुत जरूरी है कि इस मौके पर हम किस घी या तेल का इस्तेमाल कर दीया जला रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर देसी घी के अलावा कुछ तेलों का इस्तेमाल कर दीये जलाए जा सकते हैं। इनमें सरसों का तेल, तिल का तेल, पंचदीप तेल, अलसी का तेल और नारियल का तेल प्रमुख हैं।
सबसे पहले बात करते हैं देसी घी से जलाए जाने वाले दीयों की। देसी घी में गाय के घी को सबसे शुद्ध माना जाता है। गाय के घी से दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मकता आती होती है। माना जाता है कि दिवाली पर देसी घी का दीया जलाने से दरिद्रता भी समाप्त होती है और घर में धन व स्वास्थ्य सुख बना रहता है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी परिवार पर होती है। वहीं तिल का तेल इस्तेमाल कर दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसका इस्तेमाल कर दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और बुराइयां दूर हो जाती हैं। तिल का तेल दीर्घकालिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और जीवन की बाधाओं को भी दूर करता है। वहीं दिवाली पर पंचदीप तेल का इस्तेमाल करके भी दीये जलाने चाहिए। मान्यता है कि पंचदीप तेल से दीपक जलाने से घर में सुख, स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि और समृद्धि आती है। पंचदीप तेल सही और शुद्ध अनुपात में पांच तेलों का मिश्रण है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आपकी प्रार्थनाओं की पवित्रता सुरक्षित है। वहीं दीपक जलाने के लिए सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय विकल्प है। ज्योतिषियों का कहना है कि दीया जलाने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने से शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं और रोगों से भी बचाव होता है। हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं और सोया हुआ भाग्य भी जागने लगता है। सरसों के तेल के अलावा देश में नारियल तेल भी काफी लोकप्रिय है। यह खाने के साथ शरीर पर लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि पूजा के दीयों में नारियल के तेल का प्रयोग करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं, इसलिए दिवाली के मौके पर नारियल तेल के दीये भी जलाए जा सकते हैं। हालांकि नीम, अरंडी, चमेली का तेल आदि दीयों को जलाने के लिए कम लोकप्रिय तेल हैं, लेकिन इनका उपयोग किया जा सकता है। अधिकतर बार इन्हें सुचारू उपयोग के लिए अन्य तेलों के साथ मिश्रित किया जाता है। दीयों को जलाने के लिए मूंगफली का तेल, सूरजमुखी का तेल, पाम ऑयल, वनस्पति तेल, राइस ब्रान तेल, सिंथेटिक तेल, कॉटन बीज का तेल आदि का उपयोग करने से बचें। ऋग्वेद के अनुसार, दीपक में देवताओं का वास होता है, इसलिए पूजन से पहले दीपक जलाने की परंपरा है। इसके साथ ही किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, दीपक को सदैव भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने ही प्रज्ज्वलित करना चाहिए। घी का दीपक अपने बाएं हाथ की तरफ रखकर जलाएं और तेल का दीपक हमेशा दाईं ओर रखकर जलाना चाहिए। दीपक की बाती का भी विशेष महत्व है। घी की बाती जला रहे हैं तो दीपक में रुई की बाती का प्रयोग करना उत्तम माना गया है। वहीं जब तेल का दीपक जलाते हैं तो लाल धागे की बाती बनानी चाहिए। दीपक जलाने के बाद उसकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस बात का ध्यान नहीं रखने पर नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। दीपक को कभी कोने में नहीं रखना चाहिए। ज्योतिषियों का कहना है कि दिवाली पर पूजा में तेल और बाती का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर माता लक्ष्मी की तस्वीर अथवा मूर्ति के सामने नौ या सात बत्ती का दीया जलाना शुभ माना जाता है। दिवाली पर मिट्टी के दीये ही जलाने चाहिए। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य और गहरा होना चाहिए। मान्यता है कि सात मुखी दीपक जलाने से धन संबंधी तंगी दूर होती है।