Project BHISHM : PGI में आपदा प्रबंधन क्यूब पर विशेष प्रशिक्षण, 15 इंच का 'मिनी हॉस्पिटल' 200 घायलों का कर सकता है इलाज
चंडीगढ़, 10 जून 2025:
Project BHISHM : आपदा की घड़ी में महज एक घनाकार बॉक्स कैसे बन सकता है सैकड़ों जिंदगियों का सहारा- इसका जीवंत उदाहरण आज PGIMER चंडीगढ़ में देखने को मिला। यहां 'प्रोजेक्ट भीष्म' (BHISHM– Bharat Health Initiative for Sahyog, Hita and Maitri) के तहत आरोग्य मैत्री डिजास्टर मैनेजमेंट एड क्यूब पर एक विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
यह एड क्यूब एक अत्याधुनिक मोबाइल मिनी हॉस्पिटल है, जो आपदा या युद्ध जैसी परिस्थितियों में 200 तक घायलों के इलाज में सक्षम है। 20 किलोग्राम से भी कम वजन का यह क्यूब हवा, जमीन, समुद्र या ड्रोन के जरिए कहीं भी त्वरित रूप से भेजा जा सकता है।
तकनीक, तीव्रता और तत्परता का अनूठा संगम
प्रशिक्षण के दौरान AVM, VSM डॉ. तन्मय रॉय (HLL Lifecare) ने इस परियोजना की तकनीकी विशेषताओं की जानकारी दी। डॉ. रमन शर्मा, नोडल अधिकारी, प्रोजेक्ट भीष्म (PGIMER) ने बताया, “हर क्यूब में 15 इंच के घनाकार बॉक्स में विशेष दवाएं और उपकरण इस तरह से व्यवस्थित हैं कि वे ट्रॉमा, जलन, रक्तस्राव, फ्रैक्चर, शॉक जैसी स्थिति से तत्काल निपट सकें।” इस क्यूब में बेसिक सर्जिकल किट, सीमित पावर और ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम भी है, जिससे यह युद्धक्षेत्र या किसी प्राकृतिक आपदा के बीच फ्रंटलाइन चिकित्सा सेवा के तौर पर काम कर सकता है।
देश की आपदा तैयारियों में बड़ा कदम
प्रशिक्षण सत्र में PGIMER के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक कुमार ने भी शिरकत की और इस परियोजना की रणनीतिक उपयोगिता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल चिकित्सा जगत के लिए नवाचार है, बल्कि रक्षा, आपदा प्रबंधन और मानवीय राहत अभियानों के लिए भी वरदान साबित होगी। वर्तमान में आरोग्य मैत्री क्यूब को रियल टाइम डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों से जोड़ा गया है, जिससे समन्वय और निगरानी आसान हो जाती है।
PGIMER की राष्ट्रीय भूमिका को मिला नया विस्तार
यह प्रशिक्षण न केवल भारत की आपदा प्रबंधन क्षमता को नई दिशा देने वाला है, बल्कि यह भी साबित करता है कि PGIMER, चंडीगढ़ न केवल चिकित्सा शिक्षा में अग्रणी है, बल्कि राष्ट्र की स्वास्थ्य सुरक्षा और रणनीतिक तैयारियों में भी अपनी भूमिका निभा रहा है।