औषधीय उत्पादों का मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं : प्रो. सुरेश मल्होत्रा
करनाल, 9 मार्च (हप्र)
स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक समृद्धि के लिए अश्वगंधा की खेती के प्रति विशेषतौर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जागरूकता के लिए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल में अश्वगंधा के औषधीय गुणों तथा इसकी खेती के फायदों के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला रविवार को संपन्न हो गई।
राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतिम दिन एमएचयू के कुलपति प्रो. सुरेश मल्होत्रा ने विशेष तौर पर शिरकत की। कार्यशाला में काफी संख्या में महिला किसानों ओर युवाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सुरेश ने कार्यशाला में आए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला करने का मुख्य उदेश्य औषधीय पौधों के उत्पादन एवं प्रयोग के बारे में जागरूक करना है, जिससे सीधे तौर पर किसानों को फायदा पहुंचे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में औषधीय पौधों का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है साथ ही खपत भी ज्यादा हो रही है, लेकिन किसान खपत के अनुरूप औषधीय पौधों का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. महा सिंह ने किसानों को बताया कि समय पर अश्वगंधा की खेती की करनी चाहिए, इसके लिए क्या-क्या जरूरी होता है।
किसानों का उत्साह बढ़ाया
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. विमला सिंह ने अश्वगंधा की खेती के लिए उन्नत किस्मों और बीज तथा पौध की आपूर्ति के लिए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा मिल कर तकनीक विस्तार पर अपने व्याख्यान में चर्चा की तथा बीज की शुध्दता पर संभावित शोध से अवगत कराया। मिशन 2047 के लिए अश्वगंधा की खेती के नए आयामो पर सत्र में चर्चा में उन्होंने बीज और पौध पर बड़े स्तर पर एमएचयू की भूमिका और तकनीक विस्तार में योगदान के विजन से किसानों का उत्साह बढ़ाया।