चंडीगढ़ में बिजली विभाग का निजीकरण शुरू
दुष्यंत सिंह पुंडीर/टि्रन्यू
चंडीगढ़, 22 नवंबर
चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण की तैयारी कर ली है। पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मंजूरी मिलने के बाद, चंडीगढ़ प्रशासन ने शुक्रवार को कोलकाता स्थित एमिनेंट इलेक्टि्रसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (ईईडीएल) को आशय पत्र (एलओआई) जारी कर दिया। यह आरपी संजीव गोयनका (आरपीएसजी) समूह की सहायक कंपनी है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 7 नवंबर को यूटी पॉवरमेन यूनियन की याचिका खारिज करके बिजली विभाग के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। केंद्र द्वारा मई 2020 में शुरू किए गए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत बिजली क्षेत्र में सुधारों के हिस्से के रूप में निजीकरण की परिकल्पना की गई थी। इसका अनुसरण करते हुए चंडीगढ़ में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई और एमिनेंट कंपनी को सफल बोलीदाता के रूप में चुना गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (सीपीडीएल) का गठन किया गया। बिजली विभाग के कर्मचारियों को सीपीडीएल में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव है। ‘चंडीगढ़ इलेक्टि्रसिटी एम्प्लॉइज मास्टर ट्रस्ट’ भी बनाया गया है, जो ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की सभी देनदारियों को पूरा करेगा और कंपनी द्वारा इस खाते में 263 करोड़ रुपये की राशि डाली जाएगी।
प्रशासन ने 9 नवंबर, 2020 को बोलियां आमंत्रित की थीं। सात कंपनियों- स्टरलाइट पावर, रीन्यू विंग एनर्जी, एनईएससीएल (एनटीपीसी), अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, टाटा पावर, टोरेंट पावर और एमिनेंट इलेक्टि्रसिटी पावर लिमिटेड ने अपनी बोलियां जमा की थीं। पांच अगस्त, 2021 को एमिनेंट इलेक्टि्रसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड को सबसे अधिक बोली लगाने वाला घोषित किया गया। कंपनी ने लगभग 871 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जबकि आरक्षित मूल्य 175 करोड़ रुपये था।
सर्वोत्तम सेवाओं का दावा
आरपीएसजी समूह में बिजली वितरण के अध्यक्ष पीआर कुमार ने कहा, ‘हम उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम चंडीगढ़ बिजली विभाग से कंपनी में ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तों और पेंशन लाभों का अक्षरश: सम्मान करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।’ उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति और वितरण के निजीकरण से उपभोक्ताओं को कई तरह से लाभ होगा। बेहतर, सक्रिय, उत्तरदायी ग्राहक सेवाएं मिलेंगी। इससे ट्रांसमिशन और वितरण घाटे को कम करने में भी मदद मिलेगी, जिससे अंततः उपभोक्ताओं/ आम जनता को बड़े पैमाने पर लाभ होगा।