निजी कॉलेज प्रबंधकों ने खोला मोर्चा
यमुनानगर, 19 नवंबर (हप्र)
प्रदेश के सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हरियाणा सरकार का शिक्षा विभाग टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के टेकओवर (अधिग्रहण) करने की तैयारी में जुट गया है, जिसके चलते निजी कॉलेज के प्रबंधकों में व्यापक रोष व्याप्त है। संगठन सदस्य मांग कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस संदर्भ में कॉलेज के प्रबंधकों से वार्ता कर उन्हें पेश आ रही चुनौतियों से अवगत होने के साथ इस फैसले को वापस लें।
कॉलेज के सर्वोच्च संघ वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ द मैनेजमेंट आफ प्राइवेट कॉलेजेज के अध्यक्ष चौधरी तेजवीर सिंह पूर्व विधायक ने बताया कि यह सभी कॉलेज हरियाणा शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं। कुल 97 सरकारी सहायताप्राप्त कॉलेज गवर्नमेंट एडिट कॉलेज में से अधिकांश कॉलेज 50 वर्षों से अधिक पुराने हैं। उनके अनुसार इन सहायताप्राप्त कॉलेज की स्थापना विभिन्न एजुकेशन सोसाइटियों और ट्रस्ट के अधीन हुई थी। उनके सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए कॉलेज सरकारी कॉलेज की तुलना बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। संगठन ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि हरियाणा के 97 सहायताप्राप्त डिग्री कॉलेज की परमानेंट टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को अपने कब्जे में लेने के सरकार के प्रस्ताव की पूरी तरह से खिलाफत करते हैं। वर्तमान में इन 97 कॉलेज में दो लाख से अधिक स्टूडेंट शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जो कि इन उच्च योग्य और अनुभवी टीचर्स के अनुभव से वंचित हो जाएंगे, जिससे कि शिक्षा का स्तर नीचे गिर जाएगा।
चौधरी तेजवीर ने कहा कि गत 50 वर्षों से अधिक स्थापित अधिकांश सहायताप्राप्त कॉलेज शिक्षा का स्तर बढ़ने के लिए प्रदेश सरकार की मदद कर रहे हैं क्योंकि इन कॉलेजों ने स्वयं ही संस्थाओं की भूमि, भवन और सभी बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराए हैं। आज इन कॉलेजों को सिर्फ सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे फीस में इजाफा होगा और शिक्षा महंगी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित और पिछड़े वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट को काफी खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।
कई पद अभी भी खाली
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सहायताप्राप्त कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की संख्या करीब 3000 है और इनमें से 1250 पद खाली हैं। इसी प्रकार 1650 नॉन टीचिंग स्टाफ और इनमें से 709 पोस्ट खाली हैं। वर्तमान में सरकार के 20 प्रतिशत स्टाफ लेने का प्रस्ताव रखा है और इस प्रकार कुछ ही स्टाफ कॉलेज के लिए उपलब्ध होगा। एसोसिएशन आफ सिख माइनॉरिटी एजुकेशन एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशन आफ हरियाणा के अध्यक्ष एमएमएस साहनी ने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थाओं को किसी भी सरकार या अन्य निकाय द्वारा अपने कब्जे में नहीं लिया जा सकता। इस अवसर पर मौजूद संगठन की वाइस प्रेसीडेंट मेजर एसपी सिंह और कार्यकारिणी सदस्य डॉक्टर देशबंधु ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए सरकार के इस कदम की आलोचना की।
पुनर्विचार के लिए सीएम को भेजा प्रस्ताव
संगठन के महासचिव प्रोफेसर यस ओबेरॉय ने कहा कि इन नीतियों के बाद सहायताप्राप्त कॉलेज यूजीसी और सरकारी ग्रांट के लिए मान्य नहीं होंगे। राज्य में विभिन्न पंचायतें और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं और इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर पुनर्विचार के लिए मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।