अम्बाला में शहीद स्मारक का उद्घाटन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी : विज
अम्बाला, 22 मार्च (हप्र)
हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने कहा कि अंबाला छावनी में आजादी की पहली लड़ाई के शहीद स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवाया जाएगा। 10 मई, 1857 को यह क्रांति आरंभ हुई थी, इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि 10 मई तक इस शहीद स्मारक का काम दिन-रात लगाकर पूरा कर लिया जाए। विज देर शाम अंबाला छावनी में आजादी की पहली लड़ाई को समर्पित शहीद स्मारक के निरीक्षण के उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए। इस अवसर पर विभागीय अधिकारियों के अलावा भाजपा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि जहां-जहां पर 1857 का यह संघर्ष हुआ था, उस सबके इस म्यूजियम में हमने सारे सीन क्रिएट किए हैं। इसमें हम अंबाला का दिखा रहे हैं, मेरठ का दिखा रहे हैं, दिल्ली के कश्मीरी गेट का दिखा रहे हैं, झांसी की रानी का दिखा रहे हैं, तात्यां टोपे का दिखा रहे हैं, गुजरात का दिखा रहे हैं और हैदराबाद का भी सीन क्रिएट करके दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे इतिहासकारों ने खोज कर यह निकाला है कि 1857 की क्रांति कहां-कहां पर हुई थी।
उन्होंने बताया कि उस समय की सामाजिक आर्थिक स्थिति क्या थी और क्या कारण थे, जिसके कारण यह क्रांति हुई, को दिखाया जा रहा है। इस म्यूजियम में उस समय के अंग्रेज अफसर की कोठियाों को भी दिखाया जा रहा है क्योंकि क्रांतिकारियों ने 1857 में मार्च के महीने में ही अंग्रेज अफसर की कोठियों में आग लगाना आरंभ कर दिया था जबकि क्रांति मेयर महीने में हुई थी।
चर्बी वाले कारतूस के डिपो भी बनाये जा रहे हैं
विज ने बताया कि इसके अलावा हम कारतूस का वह डिपो भी दिखा रहे हैं, जहां पर चर्बी वाला कारतूस मिला करता था, जोकि उस लड़ाई का बहुत बड़ा कारण भी बना। उस समय चर्बी वाले कारतूस हिंदुस्तान में तीन जगह पर बनते थे, जिनमें एक दमदम में था, एक सियालकोट में था और तीसरा अंबाला छावनी में था। इसलिए उस समय आसपास की छावनियों के लोग भी यहीं पर कारतूस लेने आते थे और यहीं पर उनकी बातचीत हुआ करती थी। कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने बताया बताया इस शहीद स्मारक पर हमने 63 मीटर ऊंचा कमल का फूल भी बनाया है, जिसमें लिफ्ट भी लगाई है और लोगों को ऊपर आकर सारे शहर का नजारा भी दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि 1857 की क्रांति में कमल के फूल और रोटी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उस समय एक यूनिट दूसरी यूनिट को कमल का फूल और रोटी भेजा करते थे, इसलिए हमने यहां पर कमल का फूल और रोटी को बनाया है। शहीद स्मारक के परिसर में 2000 लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ एक ओपन एयर थिएटर भी बनाया गया है।