तीसरी पारी की तैयारी
भले ही 18वीं लोकसभा में भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गई हो, लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधन के बूते बहुमत हासिल करके और पार्टी व गठबंधन के नेता चुनने के बाद मंत्रिमंडल गठन के मुद्दे को भी राजग ने बेहद जल्दी सुलझा लिया है। रविवार की सायं राष्ट्रपति भवन परिसर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राजग नेताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। जैसा कि उम्मीद थी, गठबंधन के साथियों को संतुष्ट करने तथा तमाम सामाजिक समीकरण साधने के लिये प्रधानमंत्री के साथ जम्बो मंत्रिमंडल ने शपथ ली है। जिसमें तीस कैबिनेट मंत्री बताए जाते हैं। जिन राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां ज्यादा मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। कैबिनेट व राज्य मंत्री बनाने में ऐसा नजर नहीं आया कि भाजपा गठबंधन सहयोगियों के किसी तरह के दबाव में हो। पिछली सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले भाजपा के सांसद वरिष्ठता क्रम में शपथ लेते नजर आए। मंत्रिमंडल के गठन में गठबंधन के हितों के साथ ही जातीय संतुलन और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया। हरियाणा में भले भी पांच सांसद इस बार चुने गए हों, लेकिन इस साल राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को कैबिनेट व राव इंद्रजीत सिंह तथा कृष्णपाल सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया। वहीं पंजाब से कोई भाजपा सांसद नहीं चुना गया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। झारखंड में इस साल चुनाव होने हैं तो राज्य को तीन मंत्री दिये गए हैं।
बहरहाल, राजग सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल में भाजपा ने पार्टी, सहयोगी दलों तथा जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने का भरसक प्रयास किया है। जैसे कि महत्वपूर्ण मंत्रालयों को लेकर गठबंधन के साथियों की दावेदारी को लेकर सवाल उठाये जा रहे, उस तरह का कोई टकराव नजर नहीं आया। लेकिन इसके बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार के सामने महत्वपूर्ण फैसलों में सर्वसम्मति से निर्णय करने की चुनौती जरूर रहेगी। हालांकि, नेता चुने जाने से पहले नरेंद्र मोदी ने राजग को जैविक गठबंधन के रूप में वर्णित करते हुए अब तक सबसे मजबूत सत्तारूढ़ गठबंधन बताया है। बहरहाल, नरेंद्र मोदी पहली बार गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे। उनके सामने मुख्य सहयोगी गठबंधन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और नीतीश कुमार के जनता दल (यू) के साथ तालमेल बनाने की जरूरत होगी। यही वजह है कि 72 सदस्यीय मंत्रिमंडल में गठबंधन दलों के बारह मंत्री बनाये गए हैं। वहीं जातीय समीकरण साधने के लिये 27 ओबीसी, पांच एस.टी व अल्पसंख्यक वर्ग से पांच सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। कहा जा रहा है कि भाजपा अपने सहयोगियों के प्रति उदार रवैये अपनाएगी। राजग की कोशिश है कि गठबंधन को मजबूत करके इस बार सशक्त होकर उभरे विपक्ष का मुकाबला किया जा सके। इतना तय है कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अग्निपथ, समान नागरिक संहिता, बेरोजगारी व महंगाई जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजग सरकार के लिये कड़ी चुनौती पेश करता रहेगा। वहीं सवाल उठाया जा रहा कि क्या नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राजग सरकार सहयोगी दलों की आकांक्षाओं के बीच पिछले दो कार्यकाल की गति से काम कर पाएगी?