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निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ाने की तैयारी!

10:09 AM Jul 17, 2024 IST
मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग (डीएमईआर), हरियाणा की वेबसाइट से लिया गया पत्र।

सुशील शर्मा/निस
लोहारू, 16 जुलाई
हरियाणा के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई और महंगी हो सकती है। प्रदेश सरकार ने निजी कॉलेजों में फीस 7.5 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है। यदि प्रस्ताव सिरे चढ़ता है तो अभिभावकों को 12 लाख की बजाय 14 लाख रुपए सालाना फीस देनी होगी। फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव स्टूडेंट और अभिभावकों के लिए बड़ा झटका है।
एमबीबीएस के छात्रों ने बताया कि मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग (डीएमईआर), हरियाणा ने हाल ही में एक प्रस्ताव सार्वजनिक किया है। प्रदेश सरकार ने फीस बढ़ोतरी के सुझाव पर हरियाणवासियों से आपत्तियां व सुझाव मांगें हैं। इस प्रस्ताव से अभिभावक काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि फीस कटौती के लिए अभिभावकों ने सीएम नायब सिंह सैनी को एक पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें राहत मिलने की बजाय सरकार झटका देने की तैयारी में है। अभिभावकों का कहना है कि गुजरात, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश के निजी कॉलेजों में फीस कम है। हरियाणा सरकार को इन प्रदेशों से सीख लेते हुए यहां भी फीस कम करनी चाहिए ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।

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छात्रों को देंगे राहत : सोमबीर सिंह

पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोमबीर सिंह ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनी है। इसे न तो जनता के दुख दर्दों की चिंता है और न ही हरियाणा के बच्चों की। एमबीबीएस प्रवेश के इच्छुक हमारे बच्चे अन्य प्रदेशों और विदेशों में पढ़ने जाने को मजबूर है लेकिन कांग्रेस को सरकार आते ही वे भावी सीएम भूपेंद्र हुड्डा की पहली कलम से बच्चों की सस्ती एवं बेहतरीन फीस व्यव्स्था बनवाएंगे।

मध्यप्रदेश जैसी व्यवस्था करे सरकार

दैनिक ट्रिब्यून द्वारा 31 मई 2024 के अंक में प्रमुखता से उठाया गया फीस का मुद्दा। -निस

अभिभावकों ने बताया कि मध्यप्रदेश में हरियाणा की तुलना में दस गुना अधिक तक मेडिकल कॉलेज हैं। दूसरा वहां के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस मात्र 7 से 9 लाख तक है। इस फीस की व्यवस्था भी वहां की सरकार अपनी गारंटी पर बैकों से एजुकेशन लोन कराकर बच्चों को दे देती है। बच्चे साढ़े 5 वर्ष पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने आप इस एजुकेशन लोन को भर देते हैं। इससे जहां गरीब के बच्चे भी डॉक्टर बन पाते हैं , वहीं राज्य में डॉक्टरों की कमी भी खत्म हो जाती है। ऐसी बेहतरीन व्यवस्था में एमपी की सरकार अन्य प्रदेशों के बच्चों को प्रवेश पर रोक लगाए रखती है ताकि केवल अपने एमपी प्रदेश के ही बच्चे अपने सपने साकार कर सकें।

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