12वीं तक संस्कृत अनिवार्य करने की तैयारी
नरेन्द्र ख्यालिया/निस
हिसार, 30 अगस्त
प्रदेश के शिक्षा विभाग ने संस्कृत विषय को अब अनिवार्य बनाने की तैयारी कर ली है। इसे कक्षा तीसरी से 12वीं तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा। इसके लिए निदेशालय ने एससीईआरटी से राय मांगी है।
संस्कृत भारती, हरियाणा प्रांत: दीदानगर कुरुक्षेत्र के पत्र का हवाला देते हुए निदेशालय ने एससीईआरटी के साथ पत्र व्यवहार करते हुए अनुरोध किया है कि संस्कृत विषय को कक्षा तीसरी से 12वीं तक अनिवार्य विषय बनाने के बारे में अपनी टिप्पणी निदेशालय को भेजे। शिक्षक संगठनों ने इसे लेकर विरोध करना शुरू कर दिया है।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव मास्टर जगरोशन कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। संस्कृत एक साहित्यिक भाषा है, जिससे आम बोलचाल व दिनचर्या से कोई सरोकार नहीं है। यह त्रिभाषी फॉर्मूला का उल्लंघन है। अगर सरकार व विभाग वास्तव में संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाना चाहते हैं तो इसे निजी स्कूलों में लागू करवा कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो राजकीय मॉडल (सीबीएसई) स्कूलों में अंग्रेजी भाषा की पढाई का ढोंग दिखाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ संस्कृत थोपने की तैयारी की जा रही है। अखिल भारतीय संस्कृत विकास परिषद के प्रधान महासचिव सुशील शास्त्री ने कहा कि संस्कृत संस्कार देने वाली भाषा है और संस्कार आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।