कीमती वक्त
06:44 AM Dec 16, 2023 IST
सूरज उगने के पहले ही एक मछुआरा नदी के लिए चला। नदी किनारे पहुंचकर उसने अपने पैरों के नीचे कुछ महसूस किया। वह छोटे-छोटे पत्थरों से भरा एक थैला था। उसने वह थैला उठाया, अपना जाल एक ओर रखा और सूरज निकलने के इंतजार में बैठ गया। करने को और कुछ न मिलने पर उसने थैले से एक पत्थर निकाला और उसे पानी की ओर उछाल दिया। फिर उसने दूसरा पत्थर फेंका और फिर तीसरा। जब तक सूरज निकला, वह एक पत्थर छोड़कर सारे पत्थर फेंक चुका था। धुंधली रोशनी में उसने अपने हाथ में उस अंतिम पत्थर को देखा। उसे देखकर वह दुखी हो गया। उसने देखा कि उसके हाथ में बचा हुआ वह अंतिम पत्थर एक कीमती पत्थर था। उसे दुःख हुआ कि वह बगैर सोचे-समझे उन कीमती रत्नों को फेंकता रहा। वक्त उन्हीं कीमती पत्थरों की तरह है, जिन्हें लोग बगैर सोचे-समझे जाया करते रहते हैं।
Advertisement
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार
Advertisement
Advertisement