बेशकीमती अहसास
वीजबर्ग जर्मनी का एक शहर है, जहां एक किले के ऊपर एक पुरानी मीनार है, जिसका नाम ‘महिलाओं का विश्वास’ (द फेथ ऑफ वीमेन) है। कहा जाता है कि जब सम्राट कोनार्ड द्वितीय ने इस किले को जीत लिया, तो किले की सेना ने उसके सामने इस शर्त पर समर्पण किया कि किले में रहने वाली महिलाओं को अपनी सबसे प्रिय चीजों को ढोकर ले जाने की अनुमति होगी। सम्राट को उम्मीद थी कि वे अपने साथ अपने गहने और अन्य ऐसी चीजें ले जाएंगी। किंतु तब उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसने किले से उनके निकलने का इंतजार करते हुए यह देखा कि उनमें से प्रत्येक के कंधे पर कोई दूसरी ही चीज थी। वे अपने कंधे पर अपने पति, बेटा, बेटी, भाई अथवा प्रेमी को ढोकर ला रही थीं। प्राय: यह समझा जाता है कि महिलाओं को गहने और अन्य बेशकीमती चीजें प्रिय होती हैं। किंतु आपातस्थिति में उनके लिए अपने पति और बच्चों से बढ़कर प्रिय दूसरी कोई चीज नहीं होती। एक-दूसरे के प्रति प्रेम और स्नेह का कभी कोई माप नहीं हो सकता और इसे किसी संकट की घड़ी में ही समझा जा सकता है।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार