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सेवा से प्रार्थना

06:35 AM Dec 15, 2023 IST

एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों ही गहरे आस्थावान थे। ईश्वर-उपासना के बाद वे आश्रम में आए रोगियों की चिकित्सा में गुरु की सहायता किया करते थे। एक दिन उपासना के समय ही एक गंभीर पीड़ित रोगी आ पहुंचा। गुरु ने पूजा कर रहे शिष्यों को बुला भेजा। लेकिन शिष्यों ने कहला भेजा, ‘अभी थोड़ी पूजा बाकी है, पूजा समाप्त होते ही आ जाएंगे।’ गुरुजी ने दोबारा फिर आदमी भेजे। इस बार शिष्य आ गए, पर उन्होंने अकस्मात‍् बुलाए जाने पर अधैर्य व्यक्त किया। गुरु ने कहा, ‘मैंने तुम्हें इस पीड़ित व्यक्ति की सेवा के लिए बुलाया था, प्रार्थनाएं तो फिर भी कर सकते हैं, किंतु अकिंचनों की सहायता करना मनुष्य का प्राथमिक धर्म है। सेवा प्रार्थना से अधिक ऊंची है।’ शिष्य अपने कृत्य पर बड़े लज्जित हुए और उस दिन से सेवा को अधिक महत्व देने लगे।

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प्रस्तुति : मुकेश ऋषि

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