Pratap Singh Bajwa ने सभी दलों से परिसीमन पर चर्चा करने का किया आह्वान, पंजाब के कमजोर होने की दी चेतावनी
चंडीगढ़, 7 मार्च (भाषा)
पंजाब कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने शुक्रवार को राज्य के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से 2026 में होने वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर चर्चा करने और इसके परिणामों पर विचार करने का आह्वान किया।
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाजवा ने कहा कि केवल दक्षिणी राज्यों को ही इसके गंभीर परिणाम भुगतने नहीं पड़ेंगे, बल्कि उत्तरी राज्यों पर भी परिसीमन की तलवार लटक रही है। चूंकि हम पंजाब से हैं, इसलिए पंजाब के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को एक मंच पर आकर यह सोचना चाहिए कि हम इस बारे में क्या कर सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में लोकसभा में 543 सांसद हैं। परिसीमन के बाद सांसदों की संख्या बढ़कर लगभग 848 हो सकती है। पंजाब में अभी 13 लोकसभा सीट हैं और यह बढ़कर करीब 18 हो जाएंगी। हालांकि, पंजाब का संसदीय प्रतिनिधित्व प्रतिशत के हिसाब से कम हो जाएगा, जिससे पंजाब और भी हाशिए पर चला जाएगा।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में सीट प्रतिशत अधिक होगा। इन राज्यों में सामूहिक रूप से लगभग 450 सीटें होंगी और भाजपा का इन राज्यों में पहले से ही मजबूत गढ़ है। पंजाब एक अनूठा राज्य है, जहां अल्पसंख्यक समुदाय (सिख) का वर्चस्व है। पंजाब में भाजपा का लगभग कोई राजनीतिक महत्व नहीं है। उपर्युक्त कारकों पर विचार करते हुए, केंद्र सरकार के पास मौजूदा पद्धति से परिसीमन जारी रखने का हर कारण है।
बाजवा ने कहा कि यदि पंजाब संसद में अपना राजनीतिक प्रतिनिधित्व खो देगा तो वह अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा नहीं कर पाएगा। सीमावर्ती राज्य पंजाब में इस समय 13 लोकसभा सदस्य हैं। फिर भी, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है। कल्पना कीजिए कि पंजाब का प्रतिनिधित्व और कम होने के बाद क्या स्थिति होगी।