प्रसार भारती को जांच कर 3 माह में रिपोर्ट देने को कहा
हरीश भारद्वाज/हमारे प्रतिनिधि
रोहतक, 19 जून
सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के रोहतक स्थित प्रधान कार्यालय भवन निर्माण में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रसार भारती को मामले की जांच कर 3 माह में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस भवन का निर्माण भी प्रसार भारती द्वारा ही करवाया गया था। भवन बनने के कुछ समय बाद ही इसका एक हिस्सा गिर गया था। उसके बाद इस भवन में लगी सामग्री की जांच में आईआईटी रुड़की ने घटिया निर्माण सामग्री प्रयोग किए जाने की पुष्टि की थी। हैरत की बात यह है कि इसके बावजूद अधिकारियों ने न तो कोई एफआईआर दर्ज करवाई, न ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही यहां काम करने वाले बैंक कर्मियों की सुरक्षा के कोई ठोस उपाय किए गए। यही नहीं, नियमों को ठेंगा दिखाते हुए ठेकेदार का भुगतान भी कर दिया गया।
करीब 10 साल पुराने इस मामले में शिकायत के बावजूद बैंक अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन एवं गुड़गांव ग्रामीण बैंक कार्यकर्ता संगठन के मुख्य समन्वयक मुकेश जोशी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 10 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
क्या कहते हैं महाप्रबंधक
इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक आरएस सलारिया ने कहा कि वह चेयरमैन से बातचीत करने के बाद ही इस मामले में कुछ बता सकेंगे। इस बारे में क्या जवाब देना है यह तो चेयरमैन से पूछ कर ही देंगे।
क्या है मामला
वर्ष 2013 में सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के रोहतक मुख्यालय के निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था। इस निविदा की शर्तों के अनुसार 15 करोड़ में भवन का निर्माण किया जाना था। इस बीच अचानक बैंक द्वारा निर्माण कार्य का जिम्मा 15 करोड़ की बजाय 25,04,55,000 रुपये में प्रसार भारती को दे दिया गया, जबकि भवन का निर्माण क्षेत्र पहले के 52000 वर्ग फुट से घटाकर 39000 वर्ग फुट कर दिया। मामले को उठाने वाले बैंक अधिकारी मुकेश जोशी का आरोप है कि इससे बैंक को करोड़ों का नुकसान हुआ। अक्तूबर 2016 में इस भवन का उद्घाटन हुआ और एक वर्ष के भीतर ही इस भवन की छत गिर गई, जिसकी शिकायत बैंक प्रबंधन ने स्वयं नहीं करवाई और जांच की जिम्मेदारी प्रसार भारती को दे दी। जांच में कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं। जांच रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि पुस्तकालय की छत को गिराकर उसका पुनर्निर्माण किया जाए। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भविष्य में भवन में दरारें पड़ने की स्थिति में भवन को खाली कर दिया जाना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि प्रसार भारती एक वैधानिक निगम है, प्रसार भारती ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इस याचिका में आरोपों को देखेंगे और उसी के लिए निर्णय लेंगे। उक्त निर्णय को प्रसार भारती बोर्ड के ध्यान में भी लाया जाएगा। उक्त निर्णय के बारे तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ताओं को सूचित किया जाएगा। मुकेश जोशी का कहना है कि वह 2014 से इस घोटाले की जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच सीबीआई या ईडी से कराने की जरूरत है।