छोटे किसानों को लेबर की समस्या से निजात दिलायेगी पावर वीडर मशीन
बिजेंद्र सिंह/हप्र
पानीपत, 25 नवंबर
सब्जियों, फलों व फूलों की खेती करने वाले ज्यादातर छोटे किसानों को अपने खेतों से खरपतवार निकालने के लिये लेबर की समस्या का सामना पड़ता है। लेबर की कमी व बढ़ते मजदूरी के रेटों की वजह से जिला के अनेक किसान अब सब्जियों व फलों की खेती से दूरी बना रहे हैं।
पानीपत एक टेक्सटाइल नगर है और यहां की करीब 20 हजार छोटी-बड़ी फैक्टरियों में करीब 5 लाख श्रमिक काम करते हैं। इसलिए यहां खेती करने वाले मजदूरों की अक्सर कमी रहती है।
हालांकि कुछ बड़े किसानों के खेतों के डेरों पर यूपी व बिहार आदि के प्रवासी मजदूर रहते हैं, पर अधिकतर छोटे किसानों को लेबर की समस्या रहती है।
बागवानी विभाग द्वारा छोटे किसानों को इसी परेशानी से निजात दिलाने के लिये खेती करने में लेबर के बजाय मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभाग द्वारा एमआईडीएच व आईएचडी स्कीम के तहत सब्जियों, फलों व फूलों की खेती करने वाले किसानों को 20 एचपी तक के छोटे ट्रैक्टर, पावर वीडर मशीन, पावर टीलर, इंजन व ट्रैक्टर वाली स्प्रे मशीनों आदि पर 40 से 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है।
बनी किसानों की पहली पसंद
सब्जियों व फलों की खेती करने वाले छोटे किसानों के लिये पावर वीडर मशीन पहली पसंद बनती जा रही है। इसके द्वारा किसान अपनी सब्जी के खेतों व फलों के बागों से आसानी से खरपतवार निकाल सकते हैं। खरपतवार प्रबंधन के लिए पावर वीडर बहुत उपयोगी मशीन है। इसका इस्तेमाल फसलों के बीच में जहां पर ट्रैक्टर नहीं जा पाता, वहां पर जुताई करने व खरपतवार निकालने को लेकर निराई-गुड़ाई के लिए करते हैं। यह खरपतवार को काट कर मिट्टी में मिला देती है और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है।
क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी
डीएचओ डाॅ. शार्दूल शंकर ने बताया कि विभाग द्वारा सब्जियों, फलों व फूलों की खेती करने वाले छोटे किसानों को छोटे ट्रैक्टर, पावर वीडर मशीन, पावर टीलर, इंजन व ट्रैक्टर वाली स्प्रे मशीन आदि पर 40 से 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। सब्जियों व फलों की खेती करने वाले छोटे किसानों द्वारा पावर वीडर मशीन को बहुत पसंद किया जा रहा है।
क्या कहते हैं किसान
मशीन का प्रयोग करने वाले गांव सींक के किसान सतनारायण ने बताया कि उसका एक एकड़ में अमरूद का बाग है। वह अमरूद के पेड़ों के बीच में साथ में दूसरी खेती भी करता है। पहले एक एकड़ के बाग से खरपतवार निकालने के लिये 10-12 महिला मजदूरों को दो दिन लग जाते थे, लेकिन अब इस पावर वीडर मशीन से 4-5 घंटों में ही सारे खेत की निराई-गुड़ाई हो जाती है। पुरुष मजदूर तो बहुत कम मिलते हैं और महिला मजदूरों की मजदूरी भी 600 रुपये है। यह मशीन एक लीटर पेट्रोल में एक घंटे तक चलती है।