मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सकारात्मक सोच

11:36 AM Jun 30, 2023 IST

सिद्धार्थ ने घर छोड़ वन में कठोर तप किया पर साधना पूर्ण नहीं हुई। असमंजस में वापस घर की राह ली। मार्ग में देखा कि एक गिलहरी तालाब के पानी में पूंछ भिगोकर उसे बाहर झाड़ रही है। बुद्ध ने गिलहरी से पूछा, ‘यह क्या कर रही हो?’ गिलहरी बोली, ‘तालाब को सुखाने का जतन कर रही हूं। इसमें मेरे बच्चे डूब गए हैं। बुद्ध ने समझाया, ‘ तालाब इतना विशाल, तुम इसे कैसे सुखा पाओगी?’ गिलहरी ने जवाब दिया, ‘मैं इसे सुखाकर छोड़ूंगी। जल्द सारी जनता इस मुहिम में शामिल हो जाएगी।’ गिलहरी के संकल्प और सकारात्मक सोच ने बुद्ध को तप की नई प्रेरणा दी। बुद्ध ने सोचा कि जब एक नन्ही गिलहरी बड़ा तालाब सुखाने पर आमादा है, तो मैं क्यों तपस्या अधूरी छोड़ घर लौट रहा हूं। बुद्ध ने दोबारा अखंड तप का निश्चय किया और उन्हें बुद्धत्व प्राप्त हुआ। प्रस्तुति : राजकिशन नैन

Advertisement

Advertisement
Tags :
सकारात्मक