For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

हाथी दर्शन से संचालित खाती-पीती राजनीति

06:35 AM Jun 26, 2024 IST
हाथी दर्शन से संचालित खाती पीती राजनीति
Advertisement

केदार शर्मा

Advertisement

जंगल में एक दिन एक युवा हाथी को एक वृद्ध हाथी मिला। युवा हाथी निराशा से भरा था, कह रहा था ‘जंगल समाप्त हो गए हैं, इंसानी बस्तियों का दखल बढ़ता जा रहा है। हाथियों का अब वो रुतबा नहीं रहा।’
वृद्ध हाथी ने समझाया ‘भइए! तू अभी इंसानों की संगत में रहा नहीं। मैं रहा हूं और मेरा तजुर्बा कहता है कि भले ही जंगलराज अब न रहा हो पर धीरे-धीरे कई राज भीड़ के जंगलों में तब्दील होते जा रहे हैं। रही हाथियों की बात तो हाथी भले ही उतनी संख्या में नहीं रहे हों पर इंसान तेजी से हाथियों का दर्शन अपनाता जा रहा है। हाथी रहें या न रहें, पर उनका दर्शन हमेशा रहेगा। हम हाथी कोई सामान्य प्राणी नहीं हैं, हमारे अंग-अंग में प्रेरणाएं छुपी हुई हैं।
जो भी प्राणी हाथी दर्शन को आत्मसात‍ कर लेता है और जितनी ऊंची पद-प्रतिष्ठा हथिया लेता है वह उतना ही स्वार्थ में मदमस्त होकर मस्तानी चाल चलने लगता है। वह परवाह करना छोड़ देता है कि उसके आगे-पीछे, अगल-बगल में कौन पुकार रहा है, कौन व्यथा सुना रहा है, कौन समस्या बता रहा है, उसे कोई सरोकार नहीं रहता है। वह उनको श्वान की भांति समझता है जिनका काम है भौंकना और उसका स्वयं का काम है चुपचाप चलते रहना।’
युवा हाथी ने जिज्ञासा व्यक्त की ‘सुना है हाथियों में भी सफेद हाथियों का बड़ा रुतबा है?’ वृद्ध हाथी हंसने लगा, बोला, ‘हां, सफेद हाथी का जिसे दर्जा मिल जाता है उसे करना कुछ नहीं पड़ता और चारा-पानी सब बैठे बिठाए ऑटोमेटिक मिलता जाता है। जहां जाता है वहां पुष्पहार पहनाए जाते हैं। चंदन लगाया जाता है। जिसने पिछले जन्म में घोर ‘पुण्यकर्म’ किए हों, वह पुण्यात्मा ही अगले जन्म में सफेद हाथी की प्रतिष्ठा का सुखोपभोग करता है।’
वृद्ध हाथी ने आगे बताना जारी रखा ‘संसार में हम हाथी ही ऐसे बेमिसाल प्राणी हैं जिनके खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग होते हैं। जिस-जिसने भी हमारे इस दर्शन को अपनाया है, वे खाते भी खूब हैं, जमकर खाते हैं, पर उनके खाने के दांत निंदित नहीं होते बल्कि अभिनंदित होते हैं। उनके दिखाने के दांत संघों में, सभाओं में, ट्रस्टों में मुक्तदंत से अवदान देते हैं। इस दांत खाते हैं उस दांत देते हैं। दिखने वाले दंत खाने वाले दंतों के खावपन को आवृत्त रखते हैं। हां, खाने वाले दांत कितने भी सख्त और भद्दे क्यों न हों, दिखने वाले दांत मनमोहक और सॉफ्ट होने चाहिए। बाहरी दांत छवि बनाते हैं और जब एक बार छवि बन जाती है तो सामने वाले बंदे खाने वाले दांतों को भूल जाते हैं। इस तरह आगे और खाने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। दांतों का यह दर्शन संसार में खूब लोकप्रिय हुआ है, हो रहा है एवं होता रहेगा। वृद्ध हाथी द्वारा प्रदत्त इस ज्ञान से युवा हाथी की निराशा के बादल छंट गए।

Advertisement
Advertisement
Advertisement