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कूट-रीति से इम्यूनिटी बढ़ाने की नीति

12:43 PM Aug 12, 2021 IST

एक डॉक्टर सहेली ने मुझे कूट-रीति के बारे में नवीनतम जानकारी दी है। उनका कहना है कि प्राचीन समय में लोग उतने बीमार नहीं होते थे, जितने आजकल होते हैं क्योंकि पहले कूटने की रीत थी, जिससे परिवार के सभी लोगों की इम्यूनिटी पॉवर मजबूत रहती थी। जब से कूटना छोड़ा है तब से हम सब को बीमारियों ने घेर लिया है। सर्वविदित है कि पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाया जाता था। धान को भी घर पर कूटकर चावल निकालते थे। रसोई के सभी मसाले भी कूटे जाते थे और सर्दियों में तो अदरक की खूब ऐसी की तैसी होती थी। चटनी कूटना-पीसना आम था। इतना ही नहीं, घरों में कपड़े भी कूट-कूट कर धोये जाते थे।

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कभी-कभार जब बड़ा भाई छोटे भाई को कूटता था तो कुटने पर छोटे वाला मां से शिकायत करता। शिकायत सुनकर मां बड़े वाले को चप्पल या थापी से कूटने में विलंब नहीं करती थी। इसके अलावा कोई बच्चा गली-मोहल्ले में जरा-सा भी नुकसान कर देता तो पिताजी जम कर कूटते थे। यानी कुल मिलाकर घर-परिवार में कूटने का काम निर्बाध गति से चलता ही रहता था। कूटने वाले कूट-कर्म को पूरी तरह नैतिक और धार्मिक कृत्य जैसा गरिमामय समझते थे।

स्कूल में ऊकचूक हो जाने पर या कटवां पहाड़े सुनाने में गलती हो जाने पर मास्टरजी कूटते थे और कभी आधी छुट्टी में खेलते-कूदते-फांदते समय यदि कहीं चोट लग जाती तो फिर पिता जी कूटते थे। गनीमत यही है कि इस कूट-पीट में बीमारी पास नहीं फटकती थी। इतना ही नहीं यदि सर्दियों में बच्चा नहाने से इनकार करता तो मां पहले तो उसे कूट कर उसकी इम्यूनिटी पॉवर में इजाफा करती थी और उसके बाद स्नान-संस्कार संपन्न करती।

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अब समय बदल गया है। एक बच्चे ने अपनी मम्मी से पानी मांगा तो जवाब मिला—खुद उठकर पी ले। बच्चे ने फिर पानी मांगा। मां को गुस्सा आ गया और वह कहने लगी—अब अगर पानी मांगा तो खींच के थप्पड़ मारूंगी। बच्चा कहने लगा—ठीक है मम्मी, जब थप्पड़ मारने आओ तो पानी लेती आना।

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एक बर की बात है अक नत्थू अपणे बाब्बू ताहीं बूझण लाग्या अक बाब्बू कदे तेरी भी पिटाई होयी थी के? सुरजा बोल्या—मेरा बाब्बू तो मेरी चमड़ी उधेड़ दिया करता, मैं तो फेर भी दो-चार झाप्पड़ तै काम चलाण लाग रह्या हूं। नत्थू बोल्या—अर तेरा बाब्बू भी कदे अपणे बाब्बू तै कुट्या था के? सुरजा बोल्या—मेरे दादे की कुटाई के तो किस्से पूरे गांम मैं मशहूर हैं पर आज तै ये बात क्यूं बूझ रह्या है? नत्थू बोल्या—मैं जानणा चाहूं अक अपणे परिवार मैं या खानदान्नी गुंडागर्दी कद तै चाली आ री है।

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इम्यूनिटीकूट-रीतिबढ़ाने