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फिर ज़हरीली हवा

06:37 AM Jan 15, 2024 IST

दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोग रक्त जमाती सर्दी में प्रदूषण की मार भी अलग से झेल रहे हैं। रविवार को दिल्ली के कई स्थानों पर एक्यूआई लेवल 450 को पार कर गया। हालात देखते हुए आपातकालीन नियम ग्रैप-3 लागू करने की घोषणा की गई। निश्चित रूप से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों के हिसाब से गंभीर स्थिति पर जा पहुंचा है। जिसके चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने फैसला किया कि दिल्ली में बीएस-3 पेट्रोल व बीएस-4 डीजल वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा निर्माण से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रविवार को दिल्ली में एक्यूआई 458 दर्ज किया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। मौसम विशेषज्ञ मंगलवार तक मौसम में कोई इस तरह का बदलाव नहीं देख रहे हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार की आस जगे। कमोबेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद आदि में एक्यूआई का स्तर साढ़े तीन सौ के आसपास रहा है। जिसे बहुत खराब श्रेणी की स्थिति माना जाता है। जिसके चलते यहां भी निर्धारित मानक के वाहनों की आवाजाही पर रोक रहेगी। जिसके उल्लंघन पर कार्रवाई की बात कही गई है। दिल्ली में बीस हजार रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है। दरअसल, हवा की गुणवत्ता की गंभीर श्रेणी को देखते हुए ग्रैप के चरण-3 की आठ सूत्रीय योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद ग्रैप के प्रतिबंधों को एक जनवरी से हटा लिया गया था। तब इस बात का अंदाजा नहीं था कि हालात इतनी जल्दी खराब हो जाएंगे और फिर से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जाएगी। दरअसल, मौसम में बदलाव के चलते पहले से हवा में व्याप्त प्रदूषण गंभीर स्थिति को पैदा कर देता है। लेकिन इसके बावजूद संकट के अन्य वास्तविक कारणों की पड़ताल करने की जरूरत है। यूं तो हर साल अक्तूबर-नवंबर में प्रदूषण संकट का ठीकरा किसानों के सिर फोड़ा जाता है कि यह पराली जलाने के कारण होता है। लेकिन इस बार प्रदूषण संकट बढ़ने के कारणों पर मंथन होना चाहिए। दरअसल, हवा के प्रवाह में तेजी न होने के कारण प्रदूषित वायु का निष्क्रमण नहीं हो पाता। यदि इस दौरान बारिश भी हो जाती है तो भी प्रदूषण से फौरी तौर पर राहत मिल जाती है। माना जाता है कि दिल्ली व इसके आसपास ऊंची बहुमंजिली इमारतों के अंधाधुंध निर्माण से हवा के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। वहीं जाड़ों में ठंड से बचने और तापमान बनाये रखने के लिये जीवाश्म ईंधन व अन्य प्रकार के ईंधन का उपयोग बढ़ना भी प्रदूषण बढ़ाने का कारक होता है। हालांकि, सड़कों पर उतरता पेट्रोल-डीजल वाहनों का सैलाब, उद्योग व थर्मल पावर प्लांट आदि अनेक कारक भी वायु प्रदूषण बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं। विडंबना यह है कि नीति-नियंता इस संकट के स्थायी-दूरगामी समाधान के बारे में गंभीरता से नहीं सोचते। वहीं जनता में भी वह जागरूकता नजर नहीं आती जो प्रदूषण नियंत्रण में रचनात्मक सहयोग दे।

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