कविताएं
08:09 AM Dec 03, 2023 IST
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सुदर्शन गासो
हथेली में सुराख
सभ्यता के ऊंचे मुकाम पर
तरक्की के ऊंचे स्थान पर
बैठा इंसान मुस्कुराता है
अपनी तरक्की पर इतराता है!
हाथ में हथगोला लिए
लोगों को हंसाने का प्रयास
करता है! कि अचानक
गोला चल जाता है!
हथेली में सुराख हो जाता है
अब सभ्यता की
हथेली में सुराख है!
इसीलिए आज के दौर के
इंसान की प्राप्तियां
उसी की हथेली से धीरे-धीरे
गिरती जा रही हैं!
अब इंसान मुस्कुराने की जगह
खिसियाता है।
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पुष्प वंदना
फूल तो मुझे
सभी तरह के सुंदर लगते हैं!
फिर भी
गेंदा मुझे ज्यादा सुंदर लगता है!
गेंदा का फूल लगता है
मुझे ज्यादा सहज
जैसे हो
आम लोगों का प्रतिनिधि
उन जैसा!
फूलों की खूबसूरती के आगे
मैं हमेशा झुक-झुक जाता हूं!
करता हूं उन्हें प्रणाम
करता हूं उनकी चरण-वंदना!
तािक... शायद!
मैं भी बन सकूं कभी
फूलों जैसा
बांट सकूं
खुशबू दुनिया को!
भर सकूं दुनिया के जर्रे-जर्रे
में महक... आनंद
और खूबसूरत रंग!
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