पिंजौर ब्लॉक के ग्रामीणों पर अब ईको सेंसेटिव जोन की मार
पिंजौर, 4 अक्तूबर (निस)
सन 1952 में कालका क्षेत्र के दर्जनों गांवों में लगे पेरीफेरी एक्ट से लोगों को निजात नहीं मिल पाई थी। 4 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने धारा 7ए लगाकर गांवों, शहरों की जमीनों, मकानों की रजिस्ट्रियों पर पाबंदी लगा दी। अब प्रदेश सरकार ने ईको सेंसेटिव जोन का दायरा एक किलोमीटर से बढ़ाकर 2 किलोमीटर कर दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी हो चुकी है जिससे पिंजौर ब्लॉक के दर्जन भर गांवों में लोगों को अधिक परेशानी होगी। क्योंकि सेंसेटिव जोन में कोई भी नया निर्माण करने से पूर्व फॉरेस्ट एक्ट एंड रूल्स के तहत जिला प्रशासन और फॉरेस्ट विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी जो आम लोगों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी। सुखना वाइल्ड लाइफ सैंचुरी के साथ लगते पिंजौर ब्लॉक के गांव प्रेमपुरा, सुखोमाजरी, धमाला, लोहगढ़, मानकपुर ठाकुरदास, सूरजपुर, चंडीमंदिर कोटला, दर्रा खरौनी, रामपुर आदि गांव सेंसेटिव जोन के दायरे में आ गए हैं।
उधर पिंजौर रायतन क्षेत्र के गणेशपुर, भोरियां गांव से आगे मल्लाह, नंदपुर केदारपुर में भी सरकार द्वारा ईको सेंसेटिव जोन का दायरा बढ़ाए जाने को लेकर 4 वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने रोष जताया था। यही नहीं सन 1952 में पंजाबी न्यू कैपिटल पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट लगने के बाद पिंजौर, कालका क्षेत्र के लगभग 200 गांव इसकी जद में आ गए थे। हालांकि वर्ष 1996 में नगर पालिका पिंजौर का गठन हुआ तो पालिका क्षेत्र में पेरीफेरी से लोगों को निजात मिली थी। वर्ष 2010 में पिंजौर, कालका नगर पालिकाओं और आसपास के 4 दर्जन गांवों को नगर निगम पंचकूला में शामिल कर दिया था तब भी यहां पर पेरीफेरी प्रभावी नहीं था।
नहीं आए नये दिशा निर्देश : फोरेस्ट रेंज ऑफिसर कालका योगेन्द्र दलाल ने बताया कि अभी उनके पास अधिसूचना के बाद नये दिशा निर्देश नहीं आए हैं । इसके लिए डीएफओ सक्षम अधिकारी होता है और सैंचुरी में किसी भी निर्माण पर हमारा वाइल्ड लाइफ विभाग ही कार्यवाही करता है।